त्रेता – के – ठाकुर, अयोध्या

शास्‍त्रों के अनुसार, भगवान राम ने अयोध्‍या में रावण पर विजय पाने के उपलक्ष्‍य में अश्‍वमेध यज्ञ का आयोजन करवाया था। यह मंदिर जिसे त्रेता के ठाकुर के नाम से जाना जाता है वह ठीक उसी स्‍थान पर बनवाया गया है। श्री राम को त्रेता के ठाकुर के रूप में माना जाता है, जो त्रेतायुग के भगवान थे जो सतयुग के बाद आता है।

हिमाचल प्रदेश के कुल्‍लु के राजा ने इस मंदिर को बनवाया था जो लगभग 300 साल पहले से स्‍थापित है जिसे अयोध्‍या में नया घाट के नाम से जाना जाता है। बाद में इस मंदिर को मराठा रानी अहिल्‍या बाई होलकर के द्वारा  पुनर्निर्मित करवाया गया था।

इस मंदिर में भगवान श्रीराम और उनकी पत्‍नी सीता माता की मूर्ति लगी हुई है, साथ में उनके छोटे भाई लक्ष्‍मण, भरत, शत्रुघ्‍न, रक्षक जय – विजय, गुरू वशिष्‍ठ, राजा सुग्रीव और सबसे वफादार भक्‍त हनुमान जी की भी मूर्ति लगी हुई है। यह माना जाता है कि इस मंदिर की मूर्तियों को जिनमें भगवान राम, माता सीता और लक्ष्‍मण जी की प्रतिमाएं शामिल हैं उन्‍हे सरयू नदी के तट से असली मंदिर से लाया गया है।

इस मंदिर की सभी मूर्तियां एकल काले पत्‍थर से बनी हुई हैं। यह मंदिर कार्तिक माह के 11 वें दिन एकादशी को खुलता है जब कई भक्‍त भगवान राम से आर्शीवाद लेने मंदिर में दर्शन करने आते हैं।