हिन्दुओं में अगर विवाह के बाद रात्रि तुरन्त करे ये काम, तो सभी कष्ट होगे दूर

अक्सर विवाह समारोह रात्रि में ही क्यों संपन्न होते है ? इसका जवाब पाने के लिए हमें इतिहास के पन्नो को उलटना होगा|भारतवर्ष पर मुस्लिमों द्वारा पहला आक्रमण ई.स. 636 में द्वितीय खलीफा के काल में हुआ था| ई.स. 950 में महमूद गजनवी द्वारा किये गए आक्रमणों के पहले के सभी आक्रमण विफल कर दिए गए थे|

महमूद ने आतंक और लूटपाट में इस देश को धकेला और अनगिनत संपत्ति लुट कर ले गया| पहले आक्रमण के पश्चात् भारत पर अधिकार जमाने के लिए मुसलमानों को 570 वर्ष लगे| सिद्धांतो पर आधारित सामाजिक व आर्थिक कारणों से बनी हिन्दू समाज की जाति व्यवस्था ने जब 500 वर्ष के मुस्लिम शासन काल में रक्षा कवच का रूप धारण किया तब उसका लचीलापन समाप्त हो गया| हर एक जाति को एक विशेष व्यवसाय सौंपा गया जो अन्य किसी जाति के लिए निषिद्ध था|

एक तरफ जाति व्यवस्था का लचीलापन धीरे-धीरे कम होने लगा तो दूसरी और महिलाएं घरों में बंधती गयी और उनकी आजादी भी कम होने लगी| बाल विवाह प्रथा भी चल पड़ी क्योंकि माता पिता चाहने लगे की लड़की के युवा अवस्था में प्रवेश के बाद विदेशी आक्रामको द्वारा शिकार होने के भय से विवाह की जिम्मेदारी पूरी कर गंगा नहा लिया जाए| इसलिए विवाह विधि गुप्त रूप से रात्रि में संपन्न होने लगी ताकि शासक बन बैठे विदेशियों के संभाव्य आक्रमणों से बचा जा सके| इसी लिए हिन्दू रात्रि विवाह की प्रथा आज भी प्रचलित है| ज्योतिषियों के अनुसार विवाह दिन में 12 बजे से पूर्व होना चाहिए|

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