आज है व्यास पूर्णिमा, जाने पूजा का शुभ मुहूर्त

हिंदी पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह में पूर्णिमा के दिन व्यास जयंती मनाई जाती है। तदनुसार, आज व्यास पूर्णिमा है। ऐसा माना जाता है कि वेद और महाकाव्य के रचयिता वेदव्यास का जन्म आषाढ़ माह में पूर्णिमा के दिन हुआ है। वेदव्यास संस्कृत भाषा के प्रकांड विद्वान थे। अतः इन्हें गुरु की उपाधि दी गई है। आइए, पूजा का शुभ मुहूर्त, महत्व और व्रत विधि जानते हैं-

इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त प्रातः काल में है। हिंदी पंचांग के अनुसार, पूर्णिमा की तिथि 4 जुलाई को 11 बजकर 33 मिनट से शुरू होकर 5 जुलाई को 10 बजकर 13 को समाप्त होगी। अतः साधक व्यास पूर्णिमा के दिन प्रातः काल में ही गुरु पूजा करें। इसके अतिरिक्त किसी कारणवश साधक गुरु पूजा नहीं कर पाते हैं तो चौघड़िया तिथि अनुसार पूजा कर सकते हैं।

व्यास पूर्णिमा महत्व

वेदव्यास को भगवान विष्णु का कलावतार माना गया है। अतः भगवान विष्णु के निमित्त पूजा करने से भी पूजा स्वीकार होता है। ऐसा कहा जाता है कि गुरु अपने शिष्य के जीवन में फैले अंधकार को दूर कर प्रकाश फैलाते हैं। जबकि जीवन में सतमार्ग भी प्रशस्त करते हैं।

व्यास पूर्णिमा पूजा विधि

इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर भगवान विष्णु का स्मरण कर दिन की शुरुआत करें। इसके पश्चात धरती माता को प्रणाम कर उनसे आशीर्वाद लें। अब नित्य कर्मों से निवृत होकर गंगाजल युक्त पानी से स्नान ध्यान करें और आमचन कर व्रत संकल्प लें। इस समय निम्न मंत्र  स्तुति करें-

गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः।

गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः॥

तत्पश्चात, भगवान भास्कर को जल का अर्घ्य दें और फिर गुरु ( ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश) की पूजा फल, फूल, धूप-दीप, तंदुल, अक्षत, कुमकुम और रोली आदि से विधि पूर्वक करें। अंत में गुरु व्यास से बल, बुद्धि और विद्या हेतु कामना करें। खासकर विद्यार्थियों के लिए यह दिन अति उत्तम है। इसके बाद अपने गुरु को दक्षिणा दें।

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