इन मोमबत्तियों की कहानी नाउम्मीद लोगों की बदल सकती है जिंदगी

हमारी जिंदगी में कहानियों का कितना महत्व होता है ये तो हम सभी जानते हैं। चाहें दादी-नानी की कहानियां हो या किसी व्यक्ति द्वारा दी गई मोटिवेशनल स्पीच, ये हमारे जीवन में काफी सकारात्मक प्रभाव डालती हैं। कई बार जब हम कमजोर पड़ रहे होते हैं तो कहानियां या किस्से ही होते हैं जो हमें आगे बढ़ने का हौसला देते हैं। हालांकि, ये हौसला भी तभी मिलता है जब कहानी में कोई ऐसी सीख हो जो हमारे अंतर्मन तक पहुंचे। ऐसे में आज हम आपके लिए कुछ इसी तरह की एक प्रेरक कहानी लाए हैं जो आपको यह सीख देती है कि जीवन में समय कभी एक-सा नहीं रहता है। लेकिन आशा हो तो सब पाया जा सकता है। तो चलिए पढ़ते हैं ये कहानी।

इस कहानी में चार मोमबत्तियों ने अहम किरदार निभाया है। रात के समय जब चारों तरफ अंधेरा छाया हुआ था तब कहीं किसी एक कमरे में चाप मोमबत्तियां जल रही थीं। ये चारों एक-दूसरे को आपस में देख रही थीं। चारों आपस में बात करने लगती हैं और अपना-अपना परिचय देती हैं। पहली मोमबत्ती अपना परिचय देते हुए कहती है, “मैं शांति हूं। इस दुनिया को देखकर मैं बहुत दुखी होती हूं। इस दुनिया में रहना बेहद मुश्किल है क्योंकि यहां हर तरफ भाग-दौड़ और लूट-पाट है। लोग हिंसा करते हैं। मेरा यहां रहना बेहद मुश्किल हो गया है।” यह कहकर वह मोमबत्ती बुझ जाती है।

अब बारी आती है दूसरी मोमबत्ती। दूसरी अपना नाम बताती है और कहती है, “मैं विश्वास हूँ। ये जगह मेरे लिए नहीं है क्योंकि यहां झूठ, धोखा, फरेब, बेईमानी है। इससे मेरा अस्तित्व खत्म होता जा रहा है। मैं भी जा रही हूँ।” यह कहकर वह मोमबत्ती भी बुझ जाती है।

तीसरी मोमबत्ती ने दोनों की बातें सुनी। वो भी बेहद दु:खी थी। उसनें अपना परिचय देते हुए कहा, “मैं प्रेम हूँ। मेरे पास वक्त खत्म हो चुका है क्योंकि मेरा स्थान स्वार्थ और नफरत लेते जा रहे हैं। लोगों के मन की प्रेम-भावना भी खत्म होती जा रही है। ऐसे में मेरा जाना ही ठीक है। यह कहकर वह मोमबत्ती भी बुझ जाती है।

जैसे ही प्रेम यानी तीसरी मोमबत्ती ने खुद को बुझाया एक छोटा बच्चा उस कमरे में आया। जब उसने तीन मोमबत्तियों को बुझा देखा तो उसे बहुत दुःख हुआ। वह रोने लगा। उसने कहा, “तुम्हें तो आखिरी तक पूरा जलना था। तुम बीच में ही बुझ गईं। तुम मेरा साथ बीच में ही छोड़ गईं। अब मैं क्या करूंगा?”

चौथी मोमबत्ती एकांत में उस बालक की बात सुन रही थी। उसने बालक से कहा, “तुम घबराते क्यों हो। मेरा नाम आशा है। मैं तुम्हारा साथ दूंगी। जब तक मैं हूं और जल रही हूं तब तक मेरी लौ से दूसरी मोमबत्तियों को तुम आराम से जला सकते हैं।” यह सब सुनकर बालक की हिम्मत वापस लौट आई। उसने आशा से बाकी की तीन मोमबत्तियां भी जला दीं।

सीख: जीवन में कई उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। समय में भी बदलाव होता है। कभी जीवन में अंधेरा होता है तो कभी उजाला। अगर कभी जीवन में आपका विश्वास खत्म होने लगे तो आशा का दीपक बेहद अहम हो जाता है। आशा जीवन में कभी अंधेरा नहीं होने देती है। इसी के आधार पर जीवन को पुनर्जीवित किया जा सकता है।  

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