सैंकड़ों साल बाद आज सोमवती अमावस्या पर पुष्कर योग का अनूठा संयोग….

सैंकड़ों साल बाद ऐसा संयोग आया है कि आज हम सोमवार को पुष्कर संयोग के साथ सोमवती अमावस्या मना रहे हैं। पुनर्वसु नक्षत्र के चलते आज पुष्कर योग बना है, जो कभी-कभी देखने को मिलता है। इससे पहले 31 जुलाई 2000 में ऐसा संयोग बना था। 20 साल बाद आज 20 जुलाई को ये संयोग बना है। पुष्कर योग में शिव पूजा करने से विवाह, धनधान्य, संतान और सेहत का सुख मिलता है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं, ऐसी मान्यता है।

सोमवती अमावस्या: पूजा एवं महत्व

ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास के मुताबिक, सोमवती अमावस्या के दिन भगवान शिव, पार्वती, गणेशजी और कार्तिकेय की पूजा की जाती है। पूजा में ऊँ उमामहेश्वराय नम: मंत्र का जाप करें। माता को सुहाग का सामान चढ़ाएं। इसके बाद शिवलिंग पर पंचामृत अर्पित करें। फिर पंचामृत दूध, दही, घी, शहद और मिश्री मिलाकर बनाना चाहिए। सोमवार को चन्द्र, बुध, गुरु, शुक्र और शनि ग्रह भी अपनी राशि में रहेंगे। सावन सोमवार और सावन की सोमवती अमावस्या को पूजा-पाठ करने और जलाभिषेक का विशेष फल प्राप्त होता है।

बहुत से भक्त भगवान शिव की असीम कृपा पाने के लिए सोमवती अमावस्या को व्रत भी रखते हैं। अमावस्या को महिलाएं तुलसी या पीपल के पेड़ की 108 परिक्रमा भी करती हैं। कई इलाकों पर अमावस्या के दिन पितर देवताओं की पूजा करने और श्राद्ध करने की भी परंपरा है। मान्यता है कि इससे अज्ञात तिथि पर स्वर्गलोकवासी हुए पूर्वजों को मुक्ति मिलती है।

सोमवती अमावस्या पर घर में पित्रेश्वर के समक्ष या परिंडे पर देशी घी का दीपक जलाना बेहतर है और सफेद मावे का प्रसाद चढ़ा फलदायक हो सकता है।

सोमवती अमावस्या पर क्या करें

अमावस्या पितरों का दिन माना गया है। इस दिन घर के पितृगणों का तर्पण करना चाहिए, तथा घर में पूर्ण शुद्धि से बनाए भोजन का भोग उन्हें लगाना चाहिए। इससे वे तृप्त होते हैं और आर्शीवाद देते हैं, जिससे जीवन के सभी संकट दूर होकर सुख-शांति प्राप्त होती है। इस दिन भूखे जीवों को भोजन कराने का भी महत्व है। यदि संभव हो तो कम से कम एक भिखारी या गाय को भोजन कराएं या किसी निकट के सरोवर में जाकर मछलियों को शक्कर मिश्रित आटे की गोलियां खिलाएं। इससे घर में पैसे की आवक शुरू हो जाती है।

सोमवती अमावस्या पर निकट के किसी शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग पर जल व बिल्वपत्र चढ़ाए। इसके बाद वहीं बैठकर ऊँ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें। इससे कालसर्प योग दोष का असर खत्म हो जाता है। कोरोना काल में आप घर बैठकर भी ये कर सकते हैं।

सोमवती अमावस्या के दिन घर के मंदिर में या ईशान कोण में गाय के घी का दीपक जलाएं। इसमें रूई के स्थान पर लाल रंग के धागे और केसर का उपयोग करें, इससे मां लक्ष्मी तुरंत ही प्रसन्न होती है। सोमवती अमावस्या पर दान का अनंत फल मिलता है। इस दिन यथासंभव किसी गरीब की कुछ सहायता करनी चाहिए अथवा कुछ नकद धनराशि दान करें, इससे जन्मकुंडली के बुरे ग्रहों का असर समाप्त हो जाता है।

अमावस्या पर सुबह स्नान के पश्चात चांदी से बने नाग-नागिन की पूजा करें तथा सफेद फूल के साथ बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें। इससे तुरंत ही कालसर्पयोग का दोष दूर हो जाता है। अमावस्या की शाम को पीपल अथवा बरगद के पेड़ की पूजा करें तथा वहां देसी घी का दीपक जलाएं। सावन माह की ये तिथि प्रकृति को समर्पित है। इस दिन प्रकृति को हरा बनाए रखने के लिए पौधा लगाना चाहिए। किसी मंदिर में या किसी सार्वजनिक स्थान पर छायादार या फलदार पौधे लगाएं।

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