जानें क्यों भगवान श्री राम ने माँ दुर्गा को चढायें थे अपने नेत्र

न केवल हिन्दू धर्म बल्कि भारत के सबसे बड़े त्यौहारों में विजयादशमी या दशहरा का पर्व शुमार है. दशहरे के दिन ही त्रेतायुग में श्री राम ने रावण को हमेशा-हमेशा के लिए इस दुनिया से विदा कर दिया था. परम शिवभक्त और लंका के राजा रावण के पापों का घड़ा इस दिन भर चुका था और उसे उसके कर्मों की सजा मिल चुकी थी. आज दशहरा के पर्व से जुड़ीं कई तरह की कथाएं मिलती है. ऐसे में हम आपको सबसे चर्चित और प्रचलित कथा के बारे में बताने जा रहे हैं.

दशहरा पर्व की कथा…

यूं तो दशहरा पर्व को लेकर कई तरह की कथाएं प्रचलित है. हालांकि दशहरा को लेकर जो सबसे प्रचलित और चर्चित कथा है उसका संबंध भगवान श्री राम से हैं. रावण को युद्ध में पराजित करने के लिए भगवान श्री राम ने लगातार 9 दिनों तक रावण से युद्ध किया था. हालांकि इस दौरान श्री राम को सफलता नहीं मिल सकी. वहीं इसके बाद अगले दिन यानी कि युद्ध के 10वें दिन श्री राम ने रावण के भाई विभीषण द्वारा बताए गए उसकी मृत्यु के राज को जानकर रावण की नाभि में तीर चला दिया और इस तरह से रावण का वध हो गया.

इसके बारे में ऐसा कहा जाता है कि भगवान श्री राम ने लगातार 9 दिनों तक माँ दुर्गा की आराधना की थी और उनकी शक्ति का आह्वान किया था. जहां भगवान श्री राम की परीक्षा लेते हुए मां दुर्गा द्वारा पूजा के लिए रखे गए कमल के फूलों में से एक फूल को कम कर दिया गया. श्री राम कमल नयन नाम से भी पहचाने जाते हैं और इसके स्थान पर उन्होंने माता को अपनी आंख चढ़ाने का निर्णय किया. श्री राम ने माता को अर्पित करने के लिए अपने नेत्र के नजदीक ज्यों ही अपना हाथ बढ़ाया ठीक उसी समय माता श्री राम की आराधना और भक्ति से प्रसन्न हो उठी और उन्होंने भगवान राम को युद्ध में विजय का आशीर्वाद और वरदान प्रदान किया. 9 दिन माता की आराधना के बाद श्री राम ने अगले दिन यानी कि दशमी तिथि को रावण को मारकर विजय प्राप्त कर ली.

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