नागेश्‍वर नाथ मंदिर, अयोध्या

यह मंदिर राम की पौढ़ी पर स्थित है। जैसा कि नाम से ही स्‍पष्‍ट है कि यह भगवान शंकर को समर्पित मंदिर है क्‍योंकि नागेश्‍वर नाथ नाम भगवान शिव का होता है। वैसे नागेश्‍वर का अर्थ होता है नागों के देवता जो कि भगवान शिव को माना गया। इस मंदिर में उनकी पूजा की जाती है। यह मंदिर, भगवान शिव के 12 ज्‍योर्तिलिंगों में से एक है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक दिन जब भगवान राम के छोटे पुत्र कुश सरयू नदी में स्‍नान कर रहे थे, तो उनका बाजूबंद खुलकर पानी में गिर गया। उन्‍होने उसे ढूंढने की बहुत कोशिश की लेकिन सफलता नहीं मिली। बाद में एक नाग कन्‍या ने उन्‍हे इसे लौटाया, नाग कन्‍या एक नाग की बेटी थी जो भगवान शिव का भक्‍त था।

उस घटना के बाद, कुश ने कृतज्ञता के रूप में नागेश्‍वर नाथ का मंदिर बनवाया था। माना जाता है कि चंद्रगुप्‍त विक्रमादित्‍य के शासन काल तक मंदिर बहुत अच्‍छी हालत में था जो बाद में शहर के खंडहरों जैसा हो गया था।  बाद में इसे 1750 में सफदरजंग के एक मंत्री के द्वारा पुन: बनवाया गया।

इस मंदिर में हर साल शिवरात्रि, या अन्‍य कोई शिव पूजा पर भारी मात्रा में श्रद्धालु आते है। इस मंदिर से शिव की बारात भी निकाली जाती है जिसमें बहुत मजा आता है।