हम निरंतर आपको नक्षत्रों के बारे में बताते आए हैं। हर नक्षत्र की अपनी विशेषता होती है जिसका वर्णन हम अपने लेखों में पूर्व में भी कर चुके हैं। हम आज भी एक नक्षत्र की जानकारी लाए हैं। इस नक्षत्र का नाम भरणी है। भरणी नक्षत्र को 27 नक्षत्रों में दूसरी जगह प्राप्त है। इस नक्षत्र पर रोमांस के कारक ग्रह शुक्र तथा जोश एवं उत्साह के कारक ग्रह मंगल दोनों का ही असर पड़ता है।
जिन लोगों का जन्म भरणी नक्षत्र में होता है वो जातक धुन के मजबूत होते हैं। यदि वो एक बार कुछ ठान लें तो उसे पूर्ण कर ही दम लेते हैं। ये काम को लटकाते नहीं हैं। इन्हें किसी भी कार्य को शीघ्र से शीघ्र पूर्ण करना होता है तथा यही इनकी खासियत होती है। भरणी का अर्थ धारक होता है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक, दक्ष प्रजापति की एक बेटी थी जिसका नाम भरणी था। इनकी शादी चंद्रमा से हुई थी। उसी के नाम पर इन नक्षत्र का नाम रखा गया था। भरणी नक्षत्र में यम का व्रत तथा पूजन किया जाता है।
यम इसके भगवान हैं। यम अथवा यमराज मृत्यु के देवता हैं। इन्हें सूर्य तथा संजना (छाया) का बेटा माना जाता है। यम का मतलब होता है जुड़वा। पौराणिक कथाओं में इन्हें यमी (यमुना) का जुड़वा भाई बताया जाता है। यम का मतलब रोकने वाला भी होता है। अतः ये मानव धर्म को रोकने वाले हैं। इन्हें नरक का स्वामी भी कहा गया है। यम इन्साफ के देवता एवं मृतात्मा के न्यायाधीश हैं। आत्मा को उसके कर्म मुताबिक ये फल देते हैं। मान्यता है कि यम विवासत का बेटा है। यम योग की आठ शाखाओं में से प्रथम शाखा है। इसी के साथ ये जातक वाले लोग बेहद प्रभावी होते है।
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