भगवान गणेश सभी देवी-देवताओं में पहले पूजे जाते हैं. उन्हें यह वरदान अपने पिता भगवान शिव द्वारा प्राप्त हुआ था, हालांकि एक समय ऐसा भी आया था जब श्री गणेश पर भगवान शिव क्रोधित हो उठे थे और उन्होंने क्रोध में श्री गणेश का सिर धड़ से अलग कर दिया था. इसके बाद श्री गणेश को गजराज (हाथी) का सिर लगाया गया था. लेकिन शिव जी ने श्री गणश का सिर क्यों काटा और उनके धड़ में लगाने के लिए हाथी का सिर कौन लाया था ?
श्री गणेश पर क्रोधित क्यों हुए थे भगवान शिव ?
माता पार्वती ने स्नान से पूर्व एक बार अपने शरीर के उबटन से एक प्रतिमा का निर्माण किया था. माता ने प्रतिमा को काफी सुंदर रूप दिया और फिर उसमे प्राण डाल दिए. इस तरह एक बालक का जन्म हुआ. माता ने बालक को कहा कि तुम मेरे पुत्र हो और तुम्हें केवल मेरी ही आज्ञा का पालन करना होगा. इसके बाद माता पार्वती स्नान के लिए चली गई और माता ने बालक से कहा कि तुम्हें किसी को भी अंदर आने की अनुमति नहीं देनी है. माता स्नान के लिए चली गई और तब ही वहां पर भगवान शिव का आगमन हो गया. भगवान शिव भवन में प्रवेश करने लगे, लेकिन बालक ने माता की आज्ञा का पालन करते हुए उनका रास्ता रोका और क्रोधित अवस्था में आकर भगवान शिव ने बालक का सिर धड़ से अलग कर दिया. माता ने यह दृश्य देखा तो वे विलाप करने लगी. इसके बाद शिव जी ने बालक यानी कि श्री गणेश की धड़ में हाथी का सिर लगाकर उन्हें जीवित कर दिया.
कौन लेकर आया हाथी का सिर ?
श्री गणेश को हाथी का सिर लगाकर पुनः जीवित तो कर दिया, लेकिन सवाल यह भी उठता है कि हाथी का सिर लेकर कौन आया था. तो आपको बता दें कि माता ने रोते और क्रोधित होते हुए कहा कि जिस किसी का भी सिर सबसे पहले मिले उसे लाकर बालक की धड़ में लगा दो. तब जाकर श्री विष्णु एक हाथी का सिर लाए और उसे बालक की धड़ में लगा दिया. इस तरह श्री गणेश गजानन बन गए.
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।