करवा चौथ का पर्व सुहागिन महिलाओं के लिए बड़ा ही ख़ास होता है। कहा जाता है इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति के लिए लम्बी उम्र की कामना करती हैं। वैसे इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और रात के समय चांद को देखकार अपना व्रत खोलती हैं। आप सभी को हम यह भी बता दें कि इस साल यानी 2020 में करवा चौथ का व्रत बुधवार, 4 नवंबर को रखा जाने वाला है। जी दरअसल यह व्रत सूर्योदय से पहले शुरू हो जाता है और इसे चांद निकलने तक रखते है। आप जानते ही होंगे इस व्रत में सांस अपनी बहू को सरगी देती है और इस सरगी को लेकर बहु अपने व्रत की शुरुआत करती हैं। अब आज हम आपको बताने जा रहे हैं करवा चौथ की पूजन विधि और इस दिन पहने जाने वाले मंगलसूत्र का महत्व।
करवाचौथ व्रत की पूजा विधि – इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठ जाएं। अब सरगी के रूप में मिला हुआ भोजन करें, पानी पीएं और भगवान की पूजा कार ले। इसके बाद निर्जला व्रत का संकल्प लें। ध्यान रहे करवाचौथ में पूरे दिन जल-अन्न कुछ ग्रहण ना करें। अब शाम के समय चांद को देखने के बाद पति को देखकर व्रत को खोल दें। पूजा करने के लिए शाम के समय एक मिट्टी की वेदी पर सभी देवताओं की स्थापना कर इसमें करवे रखें। इसके बाद एक थाली में धूप, दीप, चन्दन, रोली, सिन्दूर रखें और घी का दीपक जलाएं। ध्यान रहे पूजा चांद निकलने के एक घंटे पहले शुरु कर दें।
करवा चौथ पर मंगलसूत्र का महत्व – कहा जाता है मंगलसूत्र काले मोतियों की माला होती है, जिसे महिलाएं अपने गले में धारण करती हैं। जी दरअसल इससे बहुत सी चीजें जुडी होती है और हर चीज का संबंध शुभता से होता है। कहते हैं मंगलसूत्र धारण करने से पति की रक्षा होती है और पति के जीवन के सारे संकट कट जाते हैं।