नरसिंह द्वादशी पर करें इस स्तोत्र का पाठ

 नरसिंह द्वादशी सनातन धर्म में बेहद शुभ मानी जाती है। इस दिन भगवान नरसिम्हा की पूजा होती है। इस माह यह तिथि 21 मार्च 2024, दिन गुरुवार यानी आज पड़ रही है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन श्री हरि के इस रौद्र रूप की पूजा करने से जीवन में खुशियां आती हैं। साथ ही इस दिन श्री लक्ष्मी नृसिंह स्तोत्र का पाठ करना भी बेहद लाभकारी माना जाता है।

।।श्री लक्ष्मी नृसिंह स्तोत्र।।

श्रीमत् पयोनिधिनिकेतन चक्रपाणे भोगीन्द्रभोगमणिरञ्जितपुण्यमूर्तो ।

योगीश शाश्वत शरण्य भवाब्धिपोत लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम् ॥

ब्रह्मेन्द्ररुद्रमरुदर्ककिरीटकोटि सङ्घट्टिताङ्घ्रिकमलामलकान्तिकान्त ।

लक्ष्मीलसत्कुच्सरोरुहराजहंस लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम् ॥

संसारघोरगहने चरतो मुरारे मारोग्रभीकरमृगप्रवरार्दितस्य ।

आर्तस्यमत्सरनिदाघनिपीडितस्य लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम् ॥

संसारकूपमतिघोरमगाधमूलम् संप्राप्य दुःखशतसर्पसमाकुलस्य ।

दीनस्य देव कृपणापदमागतस्य लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम् ॥

संसारसागरविशालकरालकाल नक्रग्रहग्रसननिग्रह विग्रहस्य ।

व्यग्रस्य रागरसनोर्मिनिपीडितस्य लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम् ॥

संसारवृक्षमघबीजमनन्तकर्म शाखाशतं करणपत्रमनङ्गपुष्पम् ।

आरुह्यदुःखफलितं पततो दयालो लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम् ॥

संसारसर्पघनवक्त्रभयोग्रतीव्र दंष्ट्राकरालविषदग्द्धविनष्टमूर्ते:।

नागारिवाहन सुधाब्धिनिवास शौरे लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम् ॥

संसारदावदहनातुरभीकरोरु ज्वालावलीभिरतिदग्धतनूरुहस्य ।

त्वत्पादपद्मसरसीशरणागतस्य लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम् ॥

संसारजालपतितस्य जगन्निवास सर्वेन्द्रियार्थबडिशार्थझषोपमस्य ।

प्रोत्खण्डितप्रचुरतालुकमस्तकस्य लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम् ॥

संसारभीकरकरीन्द्रकराभिघात निष्पिष्टमर्म वपुषः सकलार्तिनाश ।

प्राणप्रयाणभवभीतिसमाकुलस्य लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम् ॥

अन्धस्य मे हृतविवॆकमहाधनस्य चोरैः प्रभो बलिभिरिन्द्रियनामधेयैः ।

मोहांधकारकुहरे विनिपातितस्य लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम् ॥

लक्ष्मीपते कमलनाभ सुरेश विष्णो वैकुण्ठ कृष्ण मधुसूदन पुष्कराक्ष ।

ब्रह्मण्य केशव जनार्दन वासुदेव देवेश देहि कृपणस्य करावलम्बम् ॥

यन्माययोजितवपुः प्रचुरप्रवाह मग्नार्थमत्र निवहोरुकरावलम्बम् ।

।।नरसिंह भगवान आरती।।

”ॐ जय नरसिंह हरे,

प्रभु जय नरसिंह हरे ।

स्तंभ फाड़ प्रभु प्रकटे,

स्तंभ फाड़ प्रभु प्रकटे,

जनका ताप हरे ॥

ॐ जय नरसिंह हरे ॥

तुम हो दिन दयाला,

भक्तन हितकारी,

प्रभु भक्तन हितकारी ।

अद्भुत रूप बनाकर,

अद्भुत रूप बनाकर,

प्रकटे भय हारी ॥

ॐ जय नरसिंह हरे ॥

बके ह्रदय विदारण,

दुस्यु जियो मारी,

प्रभु दुस्यु जियो मारी ।

दास जान आपनायो,

दास जान आपनायो,

जनपर कृपा करी ॥

ॐ जय नरसिंह हरे ॥

ब्रह्मा करत आरती,

माला पहिनावे,

प्रभु माला पहिनावे ।

शिवजी जय जय कहकर,

पुष्पन बरसावे ॥

ॐ जय नरसिंह हरे”॥

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