बहुत कम लोग इस बात से वाकिफ हैं कि भगवान श्री कृष्ण के पास अगर कोई सबसे शक्तिशाली हथियार था तो वो था उनका सुदर्शन चक्र. वहीं उन्होंने दुष्टों का संहार करने के लिए सुदर्शन चक्र चलाया है और आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि भगवान श्री कृष्ण ने सुदर्शन चक्र की प्राप्ति कैसे हुई. जी हाँ, भगवान श्री कृष्ण ने सुदर्शन चक्र की प्राप्ति की कथा बहुत रोचक है. तो आज हम आपको बताते हैं इससे जुडी कथा के बारे में.
पौराणिक कथा – पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, दैत्यों के अत्याचार से परेशान होकर देवताओं ने भगवान विष्णु से इनका संहार करने की प्रार्थना की. भगवान विष्णु देवताओं को लेकर भगवान शिव के पास कैलाश पर्वत पर पहुंचे और शिव की स्तुति की. भगवान विष्णु ने शिव का एक- एक नाम लेकर उन्हें प्रत्येक नाम के साथ एक कमल का फूल अर्पित किया और इस तरह विष्णु ने एक हजार कमल के फूल शिवजी पर चढ़ाए. भगवान विष्णु की परीक्षा लेने के लिए शिवजी ने इन फूलों में से एक फूल को छिपा दिया. जब भगवान विष्णु ने फूलों की गिनती की तो उन्हें इसमें एक फूल कम मिला, उन्होंने फूल काफी ढूंढा लेकिन जब वो नहीं मिला तो विष्णु ने शिवजी को प्रसन्न करने के लिए कमल के फूल की जगह अपनी एक आंख निकालकर चढ़ाई.
आंख इसलिए अर्पित की क्योंकि भगवान विष्णु के नयनों को कमल के समान बताया गया है और इसी कारण उन्हें कमल नयन कहा जाता है. यही सोचकर उन्होंने कमल की जगह कमल जैसी अपनी आंख शिवजी को अर्पित की . यह देखकर शिवजी प्रसन्न हुए और उन्होंने विष्णु जी से वरदान मांगने को कहा, विष्णु जी ने दैत्यों के विनाश के लिए एक अजेय अस्त्र मांगा. जिसके बाद भगवान शंकर ने विष्णु जी को सुदर्शन चक्र प्रदान किया. इस प्रकार सुदर्शन चक्र का निर्माण संहारकर्ता भगवान शिव ने किया था और निर्माण के बाद इसे भगवान विष्णु को सौंप दिया और जब भगवान विष्णु ने श्री कृष्ण के रूप में आठवां अवतार लिया तो ये उनके पास आ गया. सुदर्शन चक्र किसी भी चीज को खोजने के लिए सक्षम था और यह विनाशक अस्त्रों में से एक था.