पूजा पाठ का अभिन्न भाग है चावल मतलब अक्षत्। इसके बगैर माथे पर कुंकुम से लगाया गया तिलक भी अधूरा है। पूजा के संकल्प से लेकर दक्षिणा के टिके तक, सभी स्थान पर अक्षत् का इस्तेमाल जरुरी है। आखिर हमारी संस्कृति में चावल को इतना ज्यादा महत्व क्यों दिया गया है? इनके बगैर हर पूजा अधूरी क्यों मानी जाती है? …
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