इस शक्तिपीठ में होती है मुरादें पूरी, बस करना होता है यह पाप

shiv-sati-557936a3c4d52_exlst (1)ऐसी मान्यता है कि भगवान उसी की मुरादें पूरी करते हैं जो सच्चा और ईमानदार होता है लेकिन हम जिस मंदिर की बात करने जा रहे हैं वहां की बात ही निराली है।

यहां भक्तों की हर मुराद पूरी होती लेकिन यहां ईमानदारी सच्चा को घर पर रखकर जाना होता। पढ़कर पर हैरान हो रहे होंगे लेकिन सच्चाई यही है। इस देवी को खुश करने के लिए एक छोटा सा पाप करना होता है।

हम जिस शक्तिपीठ की बात कर रहे हैं वह उत्तराखंड के रूड़की में बसा हुआ है। इस शक्तिपीठ का नाम है चूड़ामणि शक्तिपीठ। चूड़ामणि शक्तिपीठ में मुराद पूरी करने के लिए कौन सा पाप किया जाता उस पर बात करने से पहले यह जान लीजिए कि कैसे पड़ा।

हम जिस शक्तिपीठ की बात कर रहे हैं वह उत्तराखंड के रूड़की में बसा हुआ है। इस शक्तिपीठ का नाम है चूड़ामणि शक्तिपीठ। चूड़ामणि शक्तिपीठ में मुराद पूरी करने के लिए कौन सा पाप किया जाता उस पर बात करने से पहले यह जान लीजिए कि कैसे पड़ा।

पुराणों में भगवान शिव की पत्नी सती के आत्मदाह की कथा मिलती है। सती के आत्मदाह के बाद भगवान शिव उनका शव लेकर तीनों लोकों में भटकने लगे तब भगवान विष्णु ने अपने चक्र से सती के शव के 51 टुकड़े कर दिए।

जहां जहां देवी सती के अंग गिरे वह स्थान शक्तिपीठ बन गया। माना जाता है कि रुड़की के चूड़ामणि शक्तिपीठ में देवी सती का चूड़ा गिरा था।

इस शक्तिपीठ में एक अजब मान्यता है। माता को लकड़ी का गुड‍्डा जिसे लोकड़ा कहा जाता है वह भेंट किया जाता है। जिन दंपत्तियों को संतान सुख की चाहत होती है वह माता के चरणों में रखे इन गुड्डे को सबकी नजर बचाकर चुरा लेते हैं और अपने साथ घर ले जाते हैं।

यानी चोरी जिसे पाप समझा जाता है वह इस मंदिर में माता का आशीर्वाद माना जाता है जिससे भक्तों की मुरादें पूरी होती है। जब मुरादें पूरी हो जाती हैं तब श्रद्घालु चोरी किए हुए गुड्डे के साथ एक और गुड्डा बनाकर देवी के चरणों में अर्पित करते हैं और भंडारा करवाते हैं।

मंदिर के विषय में एक लोक मान्यता है कि किसी जमाने में जब यहां जंगल हुआ करता था उन दिनों नियमित शेर भी आकर यहां माता के दर्शन किया करता था।

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