संसार ने ठुकराया भगवान ने अपनाया और बना दिया उसे अपने समान

2015_6image_08_45_454745505142-llइस साल अधिकममास) पड़ने के कारण लगभग सभी व्रत और त्योहार आम सालों की अपेक्षा कुछ जल्दी पड़ेंगे। 2015 में अधिकमास अर्थात पुरुषोत्तम मास के कारण दो आषाढ़ होंगे यह 17 जून 2015 से प्राम्भ होगा। प्रत्येक राशि, नक्षत्र, करण व चैत्रादि बारह मासों सभी के स्वामी हैं परन्तु मलमास का कोई स्वामी नही है इसलिए देव कार्य, शुभ कार्य एवं पितृ कार्य इस मास में वर्जित माने गए हैं।

इससे दुखी होकर स्वयं मलमास(अधिक मास) बहुत नाराज व उदास रहता था, इसी कारण सभी ओर उसकी निंदा होने लगी। मलमास को सभी ने असहाय, निन्दक, अपूज्य तथा संक्रांति से वर्जित कहकर  लज्जित किया। अत: लोक-भर्त्सना से दुखी होकर मल मास भगवान विष्णु के पास वैकुण्ठ लोक में पहुंचा और बोला,”हे नाथ, हे कृपानिधे! मेरा नाम मलमास है। मैं सभी से तिरस्कृत होकर यहां आया हूं। सभी ने मुझे शुभ-कर्म वर्जित, अनाथ और सदैव घृणा-दृष्टि से देखा है। संसार में सभी मुहूर्त, पक्ष, मास, अहोरात्र आदि अपने-अपने अधिपतियों के अधिकारों से सदैव निर्भय रहकर आनन्द मनाया करते हैं। मैं ऐसा अभागा हूं जिसका न कोई नाम है, न स्वामी, न धर्म तथा न ही कोई आश्रम है इसलिए हे स्वामी, मैं अब मरना चाहता हूं।”

ऐसा कहकर वह शान्त हो गया। तब भगवान विष्णु मलमास को लेकर गोलोक धाम गए। वहां भगवान श्री कृष्ण मोरपंख का मुकुट व वैजयंती माला धारण कर स्वर्णजड़ित आसन पर बैठे थे। भगवान विष्णु ने मलमास को श्री कृष्ण के चरणों में नतमस्तक करवाया व कहा,” प्रभु,यह मलमास वेद-शास्त्र के अनुसार पुण्य कर्मों के लिए अयोग्य माना गया है इसीलिए सभी इसकी निंदा करते हैं।”

श्रीकृष्ण ने कहा,” हे हरि! आप इसका हाथ पकड़कर यहां लाए हो। जिसे आपने स्वीकार किया उसे मैंने भी स्वीकार कर लिया है। इसे मैं अपने ही समान करूंगा तथा गुण, कीर्ति, ऐश्वर्य, पराक्रम, भक्तों को वरदान आदि मेरे समान सभी गुण इसमें होंगे। मेरे अन्दर जितने भी सद्गुण हैं उन सभी को मैं मलमास तुम्हे सौंप रहा हूं। मैं इसे अपना नाम ‘पुरुषोत्तम’ देता हूं और यह ये इसी नाम से विख्यात होगा। यह मेरे समान ही सभी मासों का स्वामी होगा। अब से कोई भी मलमास की निंदा नहीं करेगा। मैं इस मास का स्वामी बन गया हूं।”

श्री कृष्ण से वर पाकर इस भूतल पर वह पुरुषोत्तम नाम से विख्यात हुआ।

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