जानिए ऋषि पंचमी के दिन किसकी होती है पूजा और पूजन विधि…..

सालभर में हिंदू धर्म में कई तरह के त्यौहार आते हैं और इस दौरान कई त्यौहारों में व्रत रखने का विधान भी है. महिलाएं और कुंवारी कन्याएं इस दिन व्रत रखती है. भाद्रपद माह में ऋषि पंचमी आती है और इस दिन भी महिलाएं और कुंवारी कन्याएं व्रत रखती है. लगभग हर व्रत में देवी-देवताओं के पूजन का विधान है, हालांकि ऋषि पंचमी के व्रत में किसी भी देवी-देवता का पूजन नहीं किया जाता है. आइए जानते है ऐसा क्यों और इस दिन देवी-देवताओं का नहीं तो फिर किसका पूजन किया जाता है ?

सप्तऋषियों के पूजन का विधान…

जैसा कि नाम से ही साफ़ होता है कि यह त्यौहार भारत की ऋषि परंपरा को समर्पित है. इस त्यौहार को सप्तऋषियों की याद में मनाया जाता है. ऋषि पंचमी का त्यौहार ऋषियों से संबंधित है, इसलिए इस दिन देवी-देवताओं का पूजन न कर ऋषियों का पूजन किया जाता है.

ऋषि पंचमी व्रत की​ पूजन विधि…

इस व्रत को अपनी इच्छा से कोई भी महिला और कुंवारी कन्या रख सकती है. व्रत रखने वाली महिलाओं और कन्याओं को ऋषि पंचमी के दिन सुबह उठने के बाद सर्वप्रथम स्नान करना चाहिए और स्नान करने के बाद साफ़-सुथरे वस्त्र धारण करने चाहिए. अब अगली कड़ी में आपको अपने घर के मंदिर में सप्तऋषियों की प्रतिमा का निर्माण करना होगा. इस प्रक्रिया के बाद आपको कलश स्थापित करना होगा. अब सभी की प्रतिमाओं को दूध, दही, घी, शहद व जल से अभिषेक कराए. वहीं रोली, चावल, आदि भी ऋषियों को अर्पित करना चाहिए. इसके बाद धूप-दीप आदि जलाएं और फिर आप सप्तऋषियों को फल का भोग लगाएं. व्रत के अगले दिन यह व्रत ब्राह्मणों को भोजन कराने के बाद खोला जाता है. ध्यान रहें इस दौरान किसी भी रूप में भूल से भी आपका व्रत टूटना नहीं चाहिए.

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