पंचक को क्यों माना जाता है अशुभ?

manu-55c5d265d6e62_l-300x214ज्योतिष शास्त्र में पांच नक्षत्रों के समूह को पंचक कहते हैं। ये नक्षत्र हैं धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद और रेवती। ज्योतिष विज्ञान के अनुसार चंद्रमा अपनी माध्यम गति से 27 दिनों में सभी नक्षत्रों का भोग कर लेता है। इसलिए प्रत्येक माह में लगभग 27 दिनों के अंतराल पर पंचक नक्षत्र आते रहते हैं।  
 
पंचक नक्षत्रों के समूह में धनिष्ठा तथा सदभिषा नक्षत्र चर संज्ञक कहलाते हैं। इसी प्रकार पूर्व भाद्रपद को उग्र संज्ञक, उत्तरा भाद्रपद को ध्रुव संज्ञक और रेवती नक्षत्र को मृदु संज्ञक माना जाता है। 
 
ज्योतिषविदों के अनुसार चर नक्षत्र में घूमना-फिरना, मनोरंजन, वस्त्र और आभूषणों की खरीद-फरोख्त करना अशुभ नहीं माना गया है। इसी तरह ध्रुव  संज्ञक नक्षत्र में मकान का शिलान्यास, योगाभ्यास और लम्बी अवधि की योजनाओं का क्रियान्वन भी किया जा सकता है। 
 
मृदु संज्ञक नक्षत्र में भी गीत, संगीत, फिल्म निर्माण, फैशन शो, अभिनय करने जैसे कार्य किए जा सकते हैं। पंचक काल में विवाह, मुंडन, उपनयन संस्कार, गृह प्रवेश, व्यावसायिक कार्य किए जा सकते हैं। पंचक में यदि कोई कार्य किया जाना जरूरी हो तो, पंचक दोष की शांति का निवारण अवश्य कर लेना चाहिए। 
 
कटास राजः PAK के इस मंदिर में गिरे थे शिव के आंसू
टेंशन से बुझ रही है दिमाग की बत्ती तो आजमाएं अध्यात्म का यह गुरुमंत्र

Check Also

काशी में क्यों खेली जाती है चिता की राख से होली? जानें

 सनातन धर्म में होली के पर्व का बेहद खास महत्व है। इस त्योहार को देशभर …