भगवान श्री राम और हनुमान जी के जन्म में था सिर्फ 6 दिन का अंतर

हनुमान जी और भगवान राम के बीच जो स्नेह दिखता है वह अपने आप में अद्भुत है। और यह स्नेह सिर्फ भक्त और भगवान के संबंध वाला नहीं है। भगवान राम और हनुमान जी केऋष्यमूक पर्वत पर मिलने से पहले ही इन दोनों का संबंध जुड़ चुका था। और यह संबंध भी कोई सामान्य संबंध नहीं था। इनका नाता तो जन्म के साथ ही जुड़ चुका था। क्योंकि एक प्रकार से हनुमान और राम दोनों ही भाई थे।

इस विषय में कथा है कि दशरथ जी ने पुत्र प्राप्ति की इच्छा से श्रृंगी ऋषि को बुलाकर पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया। यज्ञ के पूर्ण होने पर अग्नि देव एक फल लेकर प्रकट हुए। जब यह फल दशरथ जी अपनी तीनों रानियों को दे रहे थे। उसी समय एक पक्षी फल लेकर उड़ चला।

तीनों रानियों के लेने बाद कुछ फल रह गया था। संयोगवश पक्षी के मुंह से वह फल छूट गया और हनुमान जी की माता अंजनी की गोद में जा गिरा जो पुत्र की कामना से तपस्या कर रही थीं। माता अंजनी ने उसे भगवान शिव का प्रसाद समझकर खा लिया और दशरथ जी की तीनों रानियों की तरह अंजनी भी गर्भवती हो गईं।

समय आने पर दशरथ जी के घर राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न का जन्म हुआ। दूसरी ओर अंजनी ने हनुमान जी को जन्म दिया। इस तरह भगवान राम और हनुमान में एक अनजाना रिश्ता जुड़ा था जो भाई-भाई का था। यही कारण भी माना जाता है कि भगवान राम और हनुमान जी के जन्म दिवस में तिथि अनुसार 6 दिनों का अंतर मात्र है।

हनुमान चालीसा में तो एक दोहा भी है जिसमें भगवान राम स्वयं कहते हैं कि ‘तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई‘ हे हनुमान तुम मुझे मेरे भाई भरत जैसे ही प्रिय हो।

आनंद रामायण में एक अन्य कथा का भी उल्लेख मिलता है जिसमें बताया गया है कि भगवान राम से मिलने की चाहत में बजरंगी वानर बनकर दशरथ जी के महल में पहुंच जाते हैं और जब तक भगवान राम अपने भाईयों के साथ गुरु आश्रम नहीं गए तब तक हनुमान जी भगवान राम के पास ही रहे।

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