गणेश चतुर्थी की तैयारियां पूरे जोरों – शोरों से शुरू हो गई हैं। गली-मोहल्ले में गणेश जी की स्थापना के लिए पंडाल भी बन गए है। शास्त्रों के अनुसार गणेश जी का जन्म भाद्रमास की शुक्ल पक्ष की चुतर्थी तिथि को हुआ था इसलिए हर साल भाद्र मास में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश उत्सव मनाया जाता है। इस साल 13 सितंबर से गणेश चतुर्थी शुरू हो रही है। हर साल यह त्यौहार को पूरे जोश और उत्साह के साथ देशभर में मनाया जाता है लेकिन क्या आप जानते है गणेश जी के हर अंग का भी कुछ मतलब होता है ? इसलिए उन्हें मंगलमूर्ति भी कहते है। तो आइए जानते है गणेश जी के अंग का मतलब
बड़ा मस्तक
आपने भी देखा होगा गणेश जी का मस्तक बहुत बड़ा है। वैज्ञानिकों के मुताबिक ऐसा कहा जाता है कि बड़े सिर वाले लोग लीडरशिप में कारगर होते है। वह बुद्धिमान होते है। गणपति जी के सिर से यह सीख मिलती है कि अपनी सोच को हमेशा बड़ा रखें।
बड़े कान
गणेश जी के कान बहुत बड़े हैं। उनके इन कानों का रहस्य यह है कि वह सबकी सुनते है और फिर कोई निर्णय लेते है। ऐसा भी कहा जाता है जिनके कान बड़े होते है वह बहुत भाग्यशाली, दीर्घायु और बड़े दिल वाले होते हैं।
छोटी आंखें
गन्नु बाबा की आंखें ज्यादा बड़ी नहीं हैं। गणेश जी की छोटी आंखे यह कहती है कि वह लोग चिंतनशील होते है। हर चीज को बहुत बारिकी से देखते है फिर कोई निर्णय लेते है।
गणपति जी की सूंड
गणेश जी की सूंड हमेशा हिलती रहती है इससे यह ज्ञात होता है कि जीवन में हमेशा सक्रिय रहना चाहिए। ऐसे व्यक्ति को जीवन में बहुत कम पेरशानियों का सामना करना पड़ता है।
एकदंत
आपको बता दें कि गणेश जी के दो दंत थे लेकिन बचपन में उनका परशुराम भगवान से युद्ध हो जाता है और वह अपना एक दंत खो देते है। इसके बाद से उन्हें एकदंत कहा जाने लगा है लेकिन गणेश जी ने हार नहीं मानी। उन्होंने अपने एक दंत का उपयोग कर उससे पूरी महाभारत लिख दी थी। इससे यह सीख मिलती है कि आपके पास जो भी है उसका सद्पयोग करें।
गणेश जी का पेट
गणेश जी का पेट बहुत बड़ा है इसलिए उन्हें लंबोदर भी कहा जाता है। गणेश जी के इस पेट से यह सीख मिलती है कि भोजन तो पचाते ही है लेकिन बुरी बातों को भी पचाए।
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।