कहते हैं कि छठ पूजा, सूर्य की आराधना का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है. आप सभी को बता दें कि जितना इस पर्व और व्रत का महत्व है, उतनी ही इससे जुड़ी कथाएं और मान्यताएं प्रचलित हैं जो आप सभी ने सुनी ही होंगी. ऐसे में छठ के व्रत के संबंध में अनेक कथाएं प्रचलित हैं जो आप सभी जानते ही होंगे लेकिन कहते हैं कि पांडवों की कथा सबसे अधिक कही जाती है और इस कथा के अनुसार जब पांडव अपना सारा राजपाठ जुए में हार गए, तब द्रौपदी ने छठ का व्रत रखा.
कहते हैं इस व्रत को रखने के बाद ही द्रौपदी की मनोकामनाएं पूरी हुईं तथा पांडवों को राजपाठ वापस मिल गया. वहीं लोक परंपरा के अनुसार सूर्यदेव और छठी मइया का संबंध भाई-बहन का है. कहते हैं ऐसी मान्यता भी है कि लोक मातृका षष्ठी की पहली पूजा सूर्य ने ही की थी वहीं छठ पर्व के पीछे पौराणिक महत्व के साथ-साथ वैज्ञानिक महत्व भी छिपा हुआ है, जो कई लोग नहीं जानते. आप सभी भी शायद ही जानते होंगे कि छठ पर्व की परंपरा में बहुत ही गहरा विज्ञान छिपा हुआ है.
आप सभी को बता दें कि षष्ठी तिथि (छठ) एक विशेष खगोलीय अवसर है और उस समय सूर्य की पराबैंगनी किरणें पृथ्वी की सतह पर सामान्य से अधिक मात्रा में एकत्र हो जाती हैं और उसके संभावित कुप्रभावों से मानव की यथासंभव रक्षा करने का सामर्थ्य इस परंपरा में होता है वहीं छठ पर्व के पालन से सूर्य (तारा) प्रकाश (पराबैंगनी किरण) के हानिकारक प्रभाव से जीवों की रक्षा संभव है.
जानिए, छठ पर्व की 4 महत्वपूर्ण परंपराएं
छठ पूजा के दौरान होते हैं कड़े नियम, जानिए पूजा विधि
छठ पूजा पर जरूर सुने और पढ़े यह पौराणिक कथा, होगी मनोकामना पूर्ण
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।