आइए जानते हैं कुछ महत्वपूर्ण बातें घटोत्कच के बारे में

आप सभी जानते ही होंगे कि महाभारत में ऐसे अनेक पात्र हैं, जिनके बारे में लोग कम ही जानते हैं. ऐसे में ऐसा ही एक पात्र है भीम का पुत्र घटोत्कच. जी हाँ, बहुत से लोग यह जानते हैं कि घटोत्कच भीम व राक्षसी हिडिंबा का पुत्र था और उसकी मृत्यु कर्ण के हाथों हुई थी. वहीं घटोत्कच से जुड़ी अनेक रोचक बातें हैं, जो बहुत कम लोग जानते हैं. ऐसे में आज हम आपको घटोत्कच से जुड़ी कुछ ऐसी ही रोचक बातें बताने जा रहे हैं जिन्हे जानकर आपको हैरानी होगी.

ऐसा था घटोत्कच का रथ – महाभारत के द्रोणपर्व के अनुसार, घटोत्कच के रथ पर जो झंडा था, उस पर मांस खाने वाले गिद्ध दिखाई देता था. उसके रथ में आठ पहिए लगे थे और चलते समय वह बादलों के समान गंभीर आवाज करता था. इसी के साथ कहते हैं सौ बलवान घोड़े उस रथ में जुते थे. उन घोड़े के कंधों पर लंबे-लंबे बाल थे, उनकी आंखें लाल थी. घटोत्कच का रथ रीछ की खाल से मढ़ा था. उस रथ में सभी प्रकार के अस्त्र-शस्त्र रखे हुए थे. विरूपाक्ष नाम का राक्षसउस रथ का सारथि था.

ऐसा भी कहा जाता है महाभारत के दिग्विजय पर्व के अनुसार, जब राजा युधिष्ठिर ने राजसूय यज्ञ का आयोजन किया तो भीम, अर्जुन, नकुल व सहदेव को अलग-अलग दिशाओं में निवास कर रहे राजाओं से कर (टैक्स) लेने के लिए भेजा. वहीं कुछ राजाओं ने आसानी से कर दे दिया तो कुछ युद्ध के बाद कर देने के लिए राजी हुए. इसी क्रम में सहदेव ने घटोत्कच को लंका जाकर राजा विभीषण से कर लेकर आने को कहा. घटोत्कच अपनी मायावी शक्ति से तुरंत लंका पहुंच गया.

कहा जाता है वहां जाकर उसने राजा विभीषण को अपना परिचय दिया और आने का कारण बताया. घटोत्कच की बात सुनकर विभीषण प्रसन्न हुए और उन्होंने कर के रूप में बहुत धन देकर उसे लंका से विदा किया.

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