आप सभी जानते ही हैं कि महाकुंभ, अर्धकुंभ और सिंहस्थ कुंभ लगते ही रहते हैं. इन सभी में एक समानता है, जो है इन धार्मिक मेलों में आने वाले नागा साधु. जी हाँ, आप सभी जानते ही होंगे कि कुंभ के दौरान ही नागा साधु बनाने की प्रक्रिया आरम्भ की जाती है और कुंभ मेले में संतों के विभिन्न अखाड़े होते हैं जहां ये नागा साधु जप, तप करते हुए देखे जा सकते हैं. आज हम आपको नागा साधु के बारे में कुछ बातें बताने जा रहे हैं जो आप शायद ही जानते होंगे.

कौन हैं नागा साधु? – आप सभी को बता दें कि नागा साधुओं को भगवान शिव के सच्चे भक्त के रूप में संबोधित किया जाता है और ये साधु कुंभ मेले के दौरान भारी संख्या में दिखते हैं. कहते हैं कड़ाके की ठंड में ये साधु निर्वस्त्र घूमते हैं और शरीर पर केवल भस्म लगाते हैं. इसी के साथ शिव के नाम का रुद्राक्ष धारण कर शिव उपासना में लीन रहते हैं.
कैसे बनते हैं नागा साधु? – कहा जाता है नागा साधु बनने की प्रक्रिया भारतीय सेना के जवान बनने की प्रक्रिया से भी अधिक कठिन होती है. ऐसा माना जाता है कि नागा साधु बनने के लिए सबसे पहले व्यक्ति को अपना घर, परिवार हमेशा के लिए भूलना पड़ता है और नागा अखाड़े के साथ रहना पड़ता है. वहीं अखाड़े में दाखिला मिलने से पहले व्यक्ति के बैकग्राउंड को चेक किया जाता है औरजब वह साफ़ सुथरा होता है तब ही वह अगले पड़ाव पर जा सकता है.
पिंडदान कर बनते हैं नागा साधु – कहा जाता है अखाड़े में दाखिल होने के बाद सबसे पहले व्यक्ति को ज़िंदा होते हुए भी अपना श्राद्ध करना होता है और वह खुद अपने हाथों अपना पिंडदान करता है. ऐसा भी मानते हैं कि उस दौरान पूर्ण ब्रहाम्चर्या का पालन करना होता है और आने वाले 12 वर्षों तक जप, तप करना होता है. वहीं 12 वर्षों के बाद आने वाले कुंभ मेले में ही उसे नागा साधु बनाया जाता है और अगर इस दौरान उससे कोई भूल हो जाए तो उसे अखाड़े से निकाल दिया जाता है.
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।