नागिन के मरने पर पाषाण में बदला, चमत्कारिक मंदिर में होती है पूजा

हिन्दू धर्म में बहुत से जीवों की देव स्वरूप में पूजा की जाती है। नाग भी ऐसा एक जीव है। पुराणों में नागों को लेकर कई कथाएं मिलती हैं और समाज में नागों को लेकर कई मान्यताएं भी प्रचलित हैं। पुराणों में तो नागलोक, नागकन्या, नाग जाति आदि का उल्लेख मिलता है। पुराणों के मुताबिक इस पृथ्वी का भार शेषनाग ने अपने ऊपर उठा कर रखा है। हालांकि यह एक प्रतिकात्मक कथा है।

 भगवान शिव के श्रृंगार के रूप में नाग नजर आते हैं। शिव की स्तुति शिवाष्टक में वर्णन है- ‘गले रुंडमालम तनौ सर्पजालं’। जिसका अर्थ है भगवान शंकर का पूरा शरीर सांपों के जाल से ढंका है। पुराणों के अनुसार जब देवता और दानवों ने समुद्र मंथन किया था तब मंदार पर्वत को शेषनाग से बांधकर समुद्र को मथा गया था। द्वापर युग में जब भगवान विष्णु ने कृष्ण के रूप में अवतार लेकर मथुरा की जेल में जन्म लिया था और वसुदेव उन्हें लेकर ब्रजभूमि गए थे, तब भी तेज बारिश से वासुकी नाम के एक ने ही उनकी रक्षा की थी। नाग को लेकर अलग स्थानों पर कई किंवदंतियां और कहानियां भी जुड़ी हुई हैं। पुराणों की इन कहानी और किंवदंतियों ने नागों के प्रति लोगों की आस्था को बढ़ाया है।
ऐसा ही एक आस्था का केंद्र है नागपुर गांव। इंदौर से करीब 25-30 किलोमीटर की दूरी पर बसे गांव का नाम ही इस मंदिर के कारण नागपुर पड़ा है। यहां पर स्थित नाग मंदिर को लेकर लोगों में विशेष आस्था है। इस नाग मंदिर से कई तरह की मान्यताएं और कहानियां जुड़ी हुई हैं। नागपंचमी के दिन यहां विशेष भीड़ रहती और मेला भी लगता है। लोग दूर-दूर से अपनी मनोकामनाओं को लेकर यहां आते हैं। यहां पर नाग देवता की करीब 3 फुट ऊंची पाषाण की प्रतिमा है। कहा जाता है इस मंदिर का निर्माण कई वर्षों पहले हुआ था। कहा जाता है कि कभी यहां दोमुंहा नाग जन्मा था।किंवदंतियां और कहानियां : गांववाले इस नाग प्रतिमा को लेकर अलग- अलग कहानियां बताते हैं। गांववालों के अनुसार कई वर्षों पहले एक महिला के गर्भ से एक बच्चे और एक नाग ने जन्म लिया था। महिला इसे लेकर डर गई कि कहीं नाग बच्चे को डस न ले अत: वह नाग को छोड़कर चली आई। तभी से यहां नाग पाषाण रूप में आ गया। कुछ दिनों बाद महिला ने आदेश दिया कि वह पाषाण प्रतिमा तालाब में है, उसे बाहर निकालकर यहां मंदिर का निर्माण करवाएं। इस प्रकार यह मंदिर बना। मंदिर को लेकर एक और किंवदंती है कि यहां महिला के गर्भ से नाग-नागिन ने जन्म लिया था। लोगों ने नागिन को मार दिया तब नाग ने पाषण का रूप धारण कर लिया। तभी से यहां मंदिर का निर्माण हुआ है। लोगों में इस मंदिर को लेकर अलग-अलग कहानियां प्रचलित हैं। वर्तमान में यह नाग मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। पांच फन वाली पाषाण प्रतिमा : इस मंदिर में करीब तीन फुट ऊंची काले रंग की पाषाण की प्रतिमा है। इस प्रतिमा की विशेषता यह है कि इसके पांच फन हैं और यह फन एक बड़ी प्रतिमा में से निकले हुए हैं। लोग यहां नाग प्रतिमा का दूध से अभिषेक करते हैं। दोमुंहा सर्प देता है दर्शन
लोगों ने यह भी बताया कि मंदिर के परिसर में कई बार दो मुंह के सर्प भी दिखाई दिए हैं। इसके परिसर में कई अन्य मंदिरों का निर्माण भी हो गया है। यहां की ग्राम पंचायत ने यहां मंदिर परिसर और तालाब के आसपास सौंदर्यीकरण का कार्य भी किया है। पीछे स्थित तालाब के आसपास पौधे भी लगाए गए हैं। आस्था के साथ ही यह एक पर्यटन स्थल के रूप में आकार लेता जा रहा है। मनोकामना होती है पूरी : इस नागमंदिर को लेकर विशेष मान्यताएं हैं। लोग यहां पर आते हैं और अपनी इच्छा के लिए मान करते हैं। महिलाएं इस मंदिर में अपनी मनौती पूर्ण होने के लिए उल्टे स्वास्तिक बनाती हैं और कामना पूरी होने पर सीधा स्वास्तिक मंदिर में बनाती हैं।

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