दुनियाभर में ना जाने कितनी ही पौराणिक कथाएँ हैं जिनके बारे में आप सभी ने सुना या पढ़ा होगा. ऐसे में आप सभी भगवान शिव की पुत्री और उनके विवाह के बारे में शायद ही जानते होंगे. तो आइए आज हम आपको बताते हैं इससे जुडी पौराणिक कथा के बारे में.

पौराणिक कथा – भगवान शिव की एक पुत्र का नाम अशोक सुंदरी था. हालांकि महादेव की और भी पुत्रियां थीं जिन्हें नागकन्या माना गया- जया, विषहर, शामिलबारी, देव और दोतलि. अशोक सुंदरी को भगवान शिव और पार्वती की पुत्री बताया गया इसीलिए वही गणेशजी की बहन है. इनका विवाह राजा नहुष से हुआ था. पद्मपुराण अनुसार अशोक सुंदरी देवकन्या हैं. दरअसल, माता पार्वती के अकेलेपन को दूर करने हेतु कल्पवृक्ष नामक पेड़ के द्वारा ही अशोक सुंदरी की रचना हुई थी.
एक बार माता पार्वती विश्व में सबसे सुंदर उद्यान में जाने के लिए भगवान शिव से कहा. तब भगवान शिव अपनी पत्नी पार्वती को नंदनवन ले गए. वहां माता को कल्पवृक्ष से लगाव हो गया और वे उस वृक्ष को लेकर कैलाश आ गईं. कल्पवृक्ष मनोकामना पूर्ण करने वाला वृक्ष है. पार्वती ने अपने अकेलेपन को दूर करने हेतु उस वृक्ष से यह वर मांगा कि उन्हें एक कन्या प्राप्त हो. तब कल्पवृक्ष द्वारा अशोक सुंदरी का जन्म हुआ. माता पार्वती ने उस कन्या को वरदान दिया कि उसका विवाह देवराज इंद्र जैसे शक्तिशाली युवक से होगा. इसी वरदान के असर के कारण एक बार अशोक सुंदरी अपनी दासियों के साथ नंदनवन में विचरण कर रही थीं तभी वहां हुंड नामक राक्षस का आया. जो अशोक सुंदरी की सुंदरता से मोहित हो गया और उसने अशोक सुंदरी के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा. लेकिन अशोक सुंदरी ने अपने वरदान और विवाह के बारे में बताया कि उनका विवाह नहुष से ही होगा. यह सुनकर राक्षस ने कहा कि वह नहुष को मार डालेगा. ऐसा सुनकर अशोक सुंदरी ने राक्षस को शाप दिया कि जा दुष्ट तेरी मृत्यु नहुष के हाथों ही होगी.
यह सुनकर वह राक्षस घबरा गया. तब उसने राजकुमार नहुष का अपहरण कर लिया. लेकिन नहुष को राक्षस हुंड की एक दासी ने बचा लिया. इस तरह महर्षि वशिष्ठ के आश्रम में नहुष बड़े हुए और उन्होंने हुंड का वध किया. इसके बाद नहुष तथा अशोक सुंदरी का विवाह हुआ हुआ. विवाह के बाद अशोक सुंदरी ने ययाति जैसे वीर पुत्र तथा सौ रुपवती कन्याओं को जन्म दिया. ययाति भारत के चक्रवर्ती सम्राटों में से एक थे और उन्हीं के पांच पुत्रों से संपूर्ण भारत पर राज किया था. उनके पांच पुत्रों का नाम था- 1.पुरु, 2.यदु, 3.तुर्वस, 4.अनु और 5.द्रुहु. इन्हें वेदों में पंचनंद कहा गया है.
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।