आप सभी को बता दें कि माघ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को तिलकुंद (तिलकूट) चतुर्थी का व्रत करते हैं और इस बार यह व्रत 8 फरवरी और 9 फरवरी को किया जाने वाला है. ऐसे में इस दिन विशेष रूप से भगवान श्री गणेश की पूजा कारण शुभ माना जाता है. इसी के साथ इस दिन ही विनायकी चतुर्थी भी मनाई जाती है. जी हाँ, पुराणों में भी इस चतुर्थी का विशेष महत्व माना गया है. इस चतुर्थी को महिलाओं के लिए ख़ास बताया जाता है और इस दिन व्रत रखने से बहुत से लाभ होते हैं. इस दिन व्रत रखकर भगवान श्री गणेश का पूजन करने से सुख-समृद्धि, धन-वैभव तथा आत्मीय शांति मिलती है. आइए जानते हैं तिलकुंद चतुर्थी पूजन विधि.

तिलकुंद चतुर्थी पूजन विधि – ज्योतिष के अनुसार तिलकुंद चतुर्थी के दिन सुबह स्नानादि से निवृत्त होकर साफ-स्वच्छ वस्त्र पहनना चाहिए और इसके बाद आसन पर बैठकर भगवान श्रीगणेश का पूजन करना चाहिए. वहीं पूजा के दौरान भगवान श्रीगणेश को धूप-दीप दिखाना चाहिए और फल, फूल, चावल, रौली, मौली चढ़ाएं, पंचामृत से उन्हें स्नान कराने के बाद तिल अथवा तिल-गुड़ से बनी वस्तुओं व लड्डुओं का भोग लगा देना चाहिए.
इसी के साथ श्रीगणेश की पूजा करते समय अपना मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखना ही लाभकारी होता है. अब पूजा के बाद ‘ॐ श्रीगणेशाय नम:’ का जाप 108 बार कर लें और शाम को कथा सुनने के बाद गणेशजी की आरती करें. अब अंत में गर्म कपड़े, कंबल, कपड़े व तिल का दान करें जो मंगलकारी होगा.
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।