शिव नवरात्रि : आज से 9 रूपों में दिखेंगे महाकाल, लगेगी हल्दी बनेंगे दूल्हा

फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है। मगर उज्जैन स्थित महालेश्वर मंदिर में इससे 9 दिन पूर्व, यानी फाल्गुन कृष्ण पक्ष की पंचमी से महाशिवरात्रि तक शिव नवरात्रि का उत्सव मनाया जाता है। इस बार यह उत्सव आज यानी रविवार 24 फरवरी से शुरू होकर 4 मार्च तक चलेगा।

इस उत्सव की खास बात यह होती है कि महादेव को पूजा में कभी हल्दी नहीं चढ़ाई जाती है। मगर इन 9 दिनों मे बाबा महाकाल को रोज हल्दी, केसर, चन्दन का उबटन, सुगंधित इत्र, औषधि, फलों के रस आदि से स्नान करवाया जाता है।

दरअसल, हल्दी स्त्री सौंदर्य प्रसाधन में प्रयोग की जाती है और शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग पुरुषत्व का प्रतीक है। इसलिए महादेव को हल्दी अर्पित नहीं करने की मान्यता है। इसके अलावा हल्दी गर्म होती है और महादेव को शीतल पदार्थ अर्पित किए जाते हैं।

शिव नवरात्रि के पूरे 9 दिन तक महाकाल के दरबार में देवाधिदेव महादेव और माता पार्वती के विवाहोत्सव का उल्लास रहता है। जिस प्रकार विवाह के दौरान दूल्हे को हल्दी लगाई जाती है। उसी प्रकार भगवान महाकाल को भी हल्दी लगाई जाती है।

9 दिनों तक सांयकाल को केसर व हल्दी से भगवान महाकालेश्वर का अनूठा श्रृंगार किया जाएगा। पुजारी भगवान को हल्दी लगाकर दूल्हा बनाएंगे। महाशिवरात्रि के दिन भगवान महाकाल का सेहरा सजाया जाता है। मान्यता है कि शिव नवरात्रि में दूल्हा स्वरूप में होने वाले महाकाल के दर्शन करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

इन रूपों में भक्तों को दर्शन देंगे महाकाल
छबीना श्रृंगार, घटाटोप रूप, होल्कर रूप, शेषनाग रूप, मनमहेश रूप, उमा महेश रूप, शिव तांडव रूप, त्रिकाल रूप

शिवरात्रि को महानिशाकाल में महाकाल का विशेष पूजन होगा। इसके बाद भगवान का सप्तधान स्वरूप में श्रृंगार कर सिर पर फूलों का सेहरा तथा फलों का मुकुट सजाया जाएगा।

पंचमुखारविंद दर्शन

शिवरात्रि के बाद दूज पर भगवान का पंचमुखारविंद श्रृंगार होगा। यह श्रृंगार वर्ष में सिर्फ एक बार होता है। शिव नवरात्रि में जो भक्त राजाधिराज के दर्शन नहीं कर पाए, वे दूज पर एक साथ विभिन्न रूपों के दर्शन कर धर्मलाभ ले सकते हैं।

शिवनवरात्र के पहले दिन रविवार को सुबह नैवेद्य कक्ष में भगवान चंद्रमौलेश्वर का पूजन होगा। पश्चात कोटितीर्थ के समीप स्थित भगवान कोटेश्वर व रामेश्वर महादेव का अभिषेक पूजन किया जाएगा। इसके बाद गर्भगृह में 11 ब्राह्मण पुजारी घनश्याम गुरु के आचार्यत्व में भगवान का अभिषेक कर एकादश-एकादशनी रूद्र पाठ करेंगे। दोपहर करीब 2 बजे भोग आरती होगी। दोहपर 3 बजे संध्या पूजा के बाद भगवान को नवीन वस्त्र धारण कराए जाएंगे। पहले दिन भगवान को सोला, दुपट्टा व जलाधारी पर मेखला धारण कराई जाएगी। रजत आभूषण से शृंगार होगा। बता दें की आम दिनों में सुबह 10.30 बजे भोग आरती तथा शाम को 5 बजे संध्या पूजा होती है।

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