समस्याओं का समाधान – अगस्त्येश्वर का धाम….

 कण में शिव का वास माना जाता है। यहां की धरती शिवलिंगों से पवित्र है। यहां की आबोहवा में ही शिवनाम की गूंज सुनाई पड़ती है। ऐसी पुण्यभूमि जहां बारह ज्योर्तिलिंग में से एक श्री महाकालेश्वर जागृत स्वरूप में प्राण प्रतिष्ठित हैं। ऐसी ही धर्मनगरी में प्रतिष्ठापित है 84 महादेव। इन महादेवों में सबसे प्रथम स्थान पर भगवान अगस्तेश्वर का स्थान आता है। कहा जाता है कि यह मंदिर बेहद पुण्यफलदायी है। जो भी यहां आकर दर्शन करता है उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। यही नहीं भगवान का यह मंदिर अतिप्राचीन है। यह महाकाल वन में प्रतिष्ठापित है। इसके स्मरण मात्र से सभी पापों का शमन हो जाता है। कहा जाता है कि यहां आकर शिवलिंग का जलाभिषेक करने से श्रद्धालुओं की मनोकामना पूरी होती है। यहां आने वाले के सभी कष्ट दूर होते हैं। 

 

 

मध्यप्रदेश के उज्जैन शहर में श्री महाकलेश्वर मंदिर के समीप प्रतिष्ठापित है शक्तिपीठ मां हरसिद्धि का स्थल। इस मंदिर के पीछे भगवान अगस्तेश्वर विराजमान हैं। 84 महादेवों में इनका प्रथम स्थान है। लोकप्रिय 84 महादेव दर्शन यात्रा की शुरूआत यहीं से होती है। यह मंदिर बहुत ही भव्य और अति प्राचीन है। इस मंदिर में महर्षि अगस्त्य ने तप किया था। जिसके बाद प्रसन्न होकर शिवजी शिवलिंग में प्रतिष्ठापित हो गए। दरअसल जब देवता और दानवों में युद्ध हुआ और देवता निराशा में घिरकर धरती पर भटकने लगे। इस दौरान देवताओं का यहां आना हुआ। यहां उनकी भेंट तपस्या कर रहे ऋषि अगस्त्य से हुई। इसके बाद ऋषि देवताओं को देखकर क्रोधित हो उठे।

उनके क्रोध से सभी हाहाकार करने लगे और अगस्त्य ऋषि के शरीर से एक ज्वाला उत्पन्न हुई जिसमें दानव जलने लगे। देवता पाताल चले गए। अगस्त्य ऋषि बहुत दुखी हुए और उन्होंने ब्रह्माजी से इसका निवार जाना। तब उन्होंने कहा कि महाकाल वन में जाकर आप शिवलिंग की आराधना और तपस्या करें तो इसका निवारण होगा। इसके बाद वे महाकाल वन पहुंचकर तप करने लगे। उनके तप से भगवान शिव प्रसन्न हुए और उन्होंने कहा कि यहां प्रतिष्ठापित शिवलिंग को अगस्त्य के नाम से ही जाना जाएगा। यह शिवलिंग अगस्त्येश्वर कह लाएगा। यहां आने वाले के सभी कष्ट दूर होंगे और उसे पापों से मुक्ति मिलेगी। यहां श्रावण मास में बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शनों के लिए उमड़ते हैं। इसके अलावा नागपंचमी, शिवरात्रि पर भी यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। 

 

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