सावन का महीना आ चुका है और सभी शिवभक्त भोले की भक्ति में रम गए हैं. ऐसे में कहा जाता है श्रावण मास में सबसे ज्यादा बेलपत्र यानी बिल्वपत्र का महत्व बढ़ जाता है और बहुत कम लोग जानते हैं बेलपत्र के उत्पन्न होने की पवित्र कथा बहुत प्रसिद्ध है. आज हम आपको वहीं कथा बताने जा रहे हैं.
बेलपत्र की कहानी :- स्कंद पुराण के अनुसार, एक बार माता पार्वती के पसीने की बूंद मंदराचल पर्वत पर गिर गई और उससे बेल का पेड़ निकल आया, चूंकि माता पार्वती के पसीने से बेल के पेड़ का उद्भव हुआ. अत: इसमें माता पार्वती के सभी रूप बसते हैं. वे पेड़ की जड़ में गिरिजा के स्वरूप में, इसके तनों में माहेश्वरी के स्वरूप में और शाखाओं में दक्षिणायनी व पत्तियों में पार्वती के रूप में रहती हैं. फलों में कात्यायनी स्वरूप व फूलों में गौरी स्वरूप निवास करता है और इस सभी रूपों के अलावा, मां लक्ष्मी का रूप समस्त वृक्ष में निवास करता है.
इसी के साथ बेलपत्र में माता पार्वती का प्रतिबिंब होने के कारण इसे भगवान शिव पर चढ़ाया जाता है और भगवान शिव पर बेल पत्र चढ़ाने से वे प्रसन्न होते हैं और भक्त की मनोकामना पूर्ण करते हैं. कहते हैं जो व्यक्ति किसी तीर्थस्थान पर नहीं जा सकता है अगर वह श्रावण मास में बिल्व के पेड़ के मूल भाग की पूजा करके उसमें जल अर्पित करे तो उसे सभी तीर्थों के दर्शन का पुण्य मिल जाता है.
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।