अक्षय नवमी पर जरूर सुने यह कथा, हो जाएंगे धन्य

आप सभी को बता दें कि हिन्दू धर्म में अक्षय नवमी को सबसे महत्वपूर्ण कहा जाता है और कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी को आंवला नवमी मनाई जाती है. ऐसे में इस नवमी को अक्षय नवमी भी कहा जाता हैं. ऐसे में इस साल यह आवंला नवमी 5 नवंबर को पड़ रही है और इस दिन आवंले के पेड़ की पूजा करना बहुत अधिक शुभ मानते हैं. वहीं अगर शास्त्रों की मानें तो इस दिन आवंले के पेड़ के नीचे बैठने और उसी पेड़ के नीचे भोजन करने से रोगों का नाश हो जाता है. वहीं ऐसी मान्यता है कि इस दिन महिलाएं संतान प्राप्ति और संतान की मंगलकामना के लिए आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है. आप सभी को बता दें कि इस बार अक्षय नवमी 5 नवंबर को है. ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं शुभ मुहूर्त और तिथि प्रारम्भ, अंत और व्रत कथा.

अक्षय नवमी तिथि- 5 नवंबर 2019
अक्षय नवमी पुरवाहना का समय- 06:39 AM से 12:10 PM तक
नवमी तिथि प्रारम्भ– 04:57 AM, Nov 05, 2019
नवमी तिथि समाप्त- 07:21 AM, Nov 06, 2019

व्रत कथा- काशी नगर में एक निःसंतान धर्मात्मा और दानी वैश्य रहता था. एक दिन वैश्य की पत्नी से एक पड़ोसन बोली यदि तुम किसी पराए बच्चे की बलि भैरव के नाम से चढ़ा दो तो तुम्हें पुत्र प्राप्त होगा. यह बात जब वैश्य को पता चली तो उसने मना कर दिया लेकिन उसकी पत्नी मौके की तलाश में लगी रही. एक दिन एक कन्या को उसने कुएं में गिराकर भैरो देवता के नाम पर बलि दे दी. इस हत्या का परिणाम विपरीत हुआ. लाभ की जगह उसके पूरे बदन में कोढ़ हो गया और लड़की की प्रेतात्मा उसे सताने लगी. वैश्य के पूछने पर उसकी पत्नी ने सारी बात बता दी.

इस पर वैश्य कहने लगा गौवध, ब्राह्मण वध तथा बाल वध करने वाले के लिए इस संसार में कहीं जगह नहीं है, इसलिए तू गंगातट पर जाकर भगवान का भजन कर गंगा स्नान कर तभी तू इस कष्ट से छुटकारा पा सकती है.वैश्य की पत्नी गंगा किनारे रहने लगी. कुछ दिन बाद गंगा माता वृद्ध महिला का वेष धारण कर उसके पास आयीं और बोलीं यदि तुम मथुरा जाकर कार्तिक नवमी का व्रत तथा आंवला वृक्ष की परिक्रमा और पूजा करोगी तो ऐसा करने से तेरा यह कोढ़ दूर हो जाएगा. वृद्ध महिला की बात मानकर वैश्य की पत्नी अपने पति से आज्ञा लेकर मथुरा जाकर विधिपूर्वक आंवला का व्रत करने लगी. ऐसा करने से वह भगवान की कृपा से दिव्य शरीर वाली हो गई तथा उसे पुत्र की प्राप्ति भी हुई.

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