क्यों केवल मृत्यु के समय ही किया जाता है गरुड़ पुराण का पाठ

हिंदू मान्यताओं के अनुसार गरुड़ पक्षियों के राजा और भगवान विष्णु के वाहन हैं।इसी वजह से गरुड़ कश्यप ऋषि और उनकी दूसरी पत्नी विनता की संतान के रूप में जाने जाते हैं। वही  एक बार गरुड़ ने भगवान विष्णु से, प्राणियों की मृत्यु, यमलोक यात्रा, नरक-योनियों तथा सद्गति के बारे में अनेक गूढ़ और रहस्ययुक्त प्रश्न पूछे।इसके अलावा  उस समय भगवान विष्णु ने गरुड़ की जिज्ञासा शांत करते हुए इन प्रश्नों का उत्तर दिया था । वही गरुड़ के प्रश्न और भगवान विष्णु के उत्तर, इसी गरुड़ पुराण में संकलित किए गए हैं।सनातन धर्म में मृत्यु के बाद गरुड़ पुराण सुनने का विधान है।

गरुड़ पुराण में जिस प्रकार के नरक और गतियों के बारे में बताया गया है, क्या वे सत्य हैं? यदि बात की जाए तो गरुड़ पुराण में व्यक्ति के कर्मों के आधार पर दंड स्वरुप मिलने वाले विभिन्न नरकों के बारे में बताया गया है। परन्तु ये प्रतीकात्मक हैं, वास्तविक नहीं हालांकि ये बात जरूर है कि उसी तरह के परिणाम वास्तविक जीवन में भुगतने पड़ने हैं और ये परिणाम वास्तविक तथा मानसिक होते हैं।गरुड़ पुराण के अनुसार कौन सी चीजें व्यक्ति को सद्गति की ओर ले जाती हैं? तुलसी पत्र और कुश का प्रयोग व्यक्ति को मुक्ति की ओर ले जाता है। संस्कारों को शुद्ध रखने से और भक्ति से व्यक्ति के दुष्कर्म के प्रभाव समाप्त होते हैं तथा व्यक्ति मुक्ति तक पहुंच जाता है।

इसके अलावा जल तथा दुग्ध का दान करना भी व्यक्ति के कल्याण में सहायक होता है। गुरु की कृपा से भी व्यक्ति के दंड शून्य होते हैं और व्यक्ति सद्गति की ओर जाता है। क्या गरुड़ पुराण का पाठ केवल किसी की मृत्यु के समय ही करना चाहिए? क्या गरुड़ पुराण केवल भय पैदा करता ? गरुड़ पुराण का पाठ अगर भाव समझकर किया जाय तो सर्वोत्तम होता है, वही  इसका पाठ कभी भी कर सकते हैं। वैसे अमावस्या को इसका पाठ करना सबसे ज्यादा उत्तम होता है इसका भाव समझने पर यह बिलकुल भी भय पैदा नहीं करता है । वही गरुड़ पुराण के भाव को समझने के लिए इसके साथ गीता भी जरूर पढ़ें।

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