जिंदगी में धूप-छांव के सिद्धांत को मानने वाले फूलों के साथ कांटों की मौजूदगी की शिकायत नहीं करते। इसके साथ ही यह संभव नहीं कि बिना अड़चन और चुनौतियों के दैनिक कार्य या विशेष कार्य सम्पन्न होते चले जाएं। वही जो इन अप्रिय, अप्रत्याशित घटनाओं से जूझने के लिए स्वयं को तैयार नहीं रखेंगे उनके लिए जीवन अभिशाप बन सकता है । वही वे पग-पग पर चिंतित और दुखी रहेंगे और संघर्षों के उपरांत मिलने वाले आनंद से वे वंचित रह जा सकते है । मुश्किल परिस्थितियों में संयत, धीर व्यक्ति भी विचलित हो सकता है। 
इसके अलावा सन्मार्ग पर चलने वाले की राह में कम बाधाएं नहीं आतीं है । हम जीवित हैं तो कठिनाइयां, चुनौतियां आ सकती है ही किन्तु स्मरण रहे, कठिनाइयों और बाधाओं का प्रायोजन हमें तोडऩा-गिराना नहीं बल्कि ये हमें सुदृढ़ करने के माध्यम हैं। वही बाधाओं का सकारात्मक पक्ष यह है कि कठिनाइयों से निपटने में उन कौशलों और जानकारियों का प्रयोग आवश्यक होता है जो सामान्य अवस्था में सुषुप्त, निष्क्रिय पड़ी रहती हैं और दुष्कर परिस्थितियों से जूझने पर ही सक्रिय स्थिति में आती हैं। वही दुष्कर प्रतीत होती एक ही परिस्थिति दो व्यक्तियों को अलग-अलग तरीके से प्रभावित करती है।
पहले को नहीं सूझता, वह क्या करे और स्वयं को एकाकी, असहाय मान कर घुटने टेक देता है, प्रभु को कोसता है। इसके अलावा समाधान के लिए वह दूसरों के समक्ष अपना दुखड़ा रोकर समाधान की अपेक्षा रखता है। दूसरा व्यक्ति अधीर नहीं होता, वह समाधान के लिए अथक प्रयास करता है और विजयी होता है। वह विकट परिस्थिति के लिए प्रभु को दोषी नहीं करार देता। वह जानता है कि प्रत्येक समस्या आरम्भ में बड़ी लगती है और प्रभु उसी योद्धा को अग्निपरीक्षा से गुजारते हैं जिन्हें वह निखारने, संवारने और बड़ी भूमिका निभाने का सुपात्र समझते हैं। जब आप कठिनाई के कगार पर हों तो प्रभु पर विश्वास रखें। निश्चय ही वह गिरने पर आपको संभाल लेंगे या आपको उडऩा सिखा देंगे।
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।