क्या हैं ‘श्राद्धकर्ता’ व ‘श्राद्धभोक्ता’ के लिए शास्त्र के निर्देश-
श्राद्ध पक्ष में सभी सनातनधर्मी अपने पितरों के निमित्त श्राद्ध कर्म करते हैं। सनातन धर्म के सभी अनुयायियों को अपने पितरों के निमित्त श्राद्ध अवश्य करना चाहिए।
श्राद्ध के दो मुख्य अंग हैं-
1. पिंड दान
2. ब्राह्मण भोजन।
हमारे शास्त्रों में श्राद्ध करने वाले (श्राद्धकर्ता) और श्राद्ध में भोजन करने वाले ब्राह्मण (श्राद्धभोक्ता) के लिए कुछ नियम निर्धारित किए हैं। आइए जानते हैं क्या हैं वे नियम-
श्राद्धकर्ता के लिए नियम-
शास्त्रानुसार श्राद्धकर्ता को श्राद्ध वाले दिन निम्न नियमों का पालन आवश्यक रूप से करना ही चाहिए-
1. पूर्णरूपेण सात्विक मनोदशा रखें।
2. पान इत्यादि भक्षण ना करें।
3. तेल मालिश, दाढ़ी, केशकर्तन इत्यादि ना करें।
4. स्त्री के साथ सहवास ना करें।
5. किसी दूसरे के घर अथवा बाहर भोजन ना करें।
श्राद्धभोक्ता के लिए नियम-
शास्त्रानुसार श्राद्धभोक्ता को श्राद्ध वाले दिन निम्न नियमों का पालन आवश्यक रूप से करना ही चाहिए-
1. श्राद्धभोज करने के उपरांत उसी दिन दूसरे घर में दोबारा श्राद्धभोजन ना करें।
2. लंबी यात्रा ना करें।
3. श्राद्धभोज वाले दिन दान ना दें।
4. स्त्री के साथ सहवास ना करें।
5. भोजन करते समय मौन रहकर भोजन करें।
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।