इस वाल्मीकि जयंती पर जाने क्या है महर्षि वाल्मीकि का असली नाम

इस साल वाल्मीकि जयंती 31 अक्टूबर यानी शनिवार को मनाई जाने वाली है। महर्षि वाल्मीकि संस्कृत के आदि कवि थे और उन्होंने संस्कृत भाषा में सबसे पहले रामायण लिखी थी। वहीं हिंदू कैलेंडर को माने तो अश्विन माह की पूर्णिमा के दिन वाल्मीकि जयंती मनाते हैं। वैसे तो यह पर्व राजस्थान का है और वहां ही इसे बहुत हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं।

कहते हैं इस दिन को प्रगति दिवस के रूप में भी जाना जाता है। अब आज हम आपको बताते हैं वाल्मीकि जयंती के पीछे का इतिहास। कहते हैं त्रेता युग में भगवान राम की कहानी महर्षि वाल्मीकि ने नारद मुनि से सुनी थी। इन्हीं के मार्गदर्शन में उन्होंने महाकाव्य लिखा था। आपको हम यह भी बता दें कि रामायण लगभग 480,002 शब्दों से बना है।

ऐसी मान्यता है कि भगवान राम की कहानी नारद मुनि पीढ़ियों तक संजो के रखना चाहती थी और इसी के कारण वाल्मीकि जी को चुना गया था। बहुत कम लोग जानते हैं महर्षि वाल्मीकि का असली नाम रत्नाकर था और वह पहले डाकू थे। उनका ही नाम आगे चलते वाल्मीकि पड़ा था। जी दरअसल मान्यता ऐसी है कि ‘एक बार महर्षि वाल्मीकि ध्यान में इतने मग्न थे कि उनके शरीर में दीमक लग गई थी। जब उनकी साधना पूरी हुई तो उन्होंने दीमकों को हटाया।’ अब आज के समय में दीमकों के घर को वाल्मीकि भी कहते हैं। वहीं वाल्मीकि के अलावा इन्हें रत्नाकर भी कहते हैं।

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