पुरे देश में 11 फरवरी को मौनी अमावस्या मनाई जाएगी। इस दिन पितृ पूजन की विशेष अहमियत होती है। मौनी अमावस्या के दिन स्नान, दान तथा पुण्य करना बेहद शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन तिल अथवा उससे बनी चीजों का दान करने से प्रभु श्री विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। मौनी अमावस्या पर पितरों के लिए सारे काम मौन रह कर किए जाते हैं। इस दिन कुछ विशेष उपायों से पितृदोष भी शांत किया जा सकता है।
पितृ दोष से मुक्ति प्राप्त करने के लिए इस दिन पितरों का ध्यान करते हुए सूर्य भगवान को जल चढ़ाएं। पितृ दोष निवारण के लिए लोटे में जल लें तथा इसमें लाल फूल एवं काले तिल डालें। तत्पश्चात, अपने पितरों की शांति की प्रार्थना करते हुए सूर्य भगवान को ये जल चढ़ाएं। पीपल के पेड़ पर सफेद रंग की कोई मिठाई चढ़ाएं तथा उस पेड़ की 108 बार परिक्रमा करें। मौनी अमावस्या के दिन किसी जरूरतमंद शख्स को तिल के लड्डू, तिल का तेल, आंवला, कंबल और वस्त्र जैसी चीजें अवश्य दान करें। ऐसा करने से आपको पुण्य प्राप्त होगा।
घर की दक्षिण दिशा की ओर सफेद वस्त्र पर थोड़े से तिल रख लें। उसके ऊपर पीतल अथवा तांबे का एक पित्र यंत्र स्थापित करें। अब इसके बाईं ओर पितरों के लिए तिल के तेल का दीया जला लें। जल से भरा एक स्टील का लोटा केंद्र में रखें। इसके ऊपर स्टील की प्लेट तथा उस पर तिल लगी रोटी रखें। अब इसके ऊपर तुलसी का पत्ता रखें। एक सफेद फूल अर्पित करें तथा चंदन से तिलक करें। इस रोटी के चार भाग कर एक टुकड़ा कुत्ते को खिलाएं, दूसरा टुकड़ा गाय को खिलाएं, तीसरा टुकड़ा कोवै को खिलाएं तथा चौथा टुकड़ा पीपल के वृक्ष के नीचे रखें। ध्यान रखें कि ये सारा काम आपको मौन रह कर ही करना है।
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।