रावण ने ‘रावण हत्था’ बजाकर, शिव को किया था प्रसन्न

ravan_hatha_17_02_2016कोरकू जनजाति में पिछले कुछ दशकों तक एक वाद्य यंत्र प्रचलित था, जिसका नाम था ‘रावण हत्था’। यह वाद्य यंत्र सारंगी की तरह था। मान्यता है कि ‘रावण हत्था’ वाद्य यंत्र भगवान शिव के प्राचीन मंदिरों में दर्शाया जाता था। यह वाद्य यंत्र अमूमन रावणनुग्रह मुर्तियों में दिखाई देता है।

रावणनुग्रह, भगवान शिव और पार्वती की वह मूर्तियां हैं, जिसमें रावण कैलाश पर्वत को उठाते हुए देखा जा सकता है। यह मूर्तियां आज भी प्राचीन शिव मंदिरों में देखी जा सकती हैं। हिंदू पौराणिक ग्रंथों के अनुसार रावण ने जब कैलाश पर्वत को उठाया तो पार्वती जी चिंतित हो गईं। तब भोलेनाथ ने रावण के अहंकार को चूर करने के लिए अपने एक अंगूठे से पर्वत को दबा दिया।

ऐसे में रावण पर्वत के वजन से उसके नीचे दबने लगा। तब प्राणों से मोह के चलते रावण ने भगवान शिव की स्तुति करना आरंभ कर दी। अमूमन प्राचीन पत्थरों के मंदिरों में खासतौर पर उनके स्थापथ्य कला में रावण को स्तुति करते समय एक वाद्य यंत्र बजाते हुए दिखाया गया है।सारंगी की तरह दिखाई देने वाले इस वाद्य यंत्रों को प्राचीन काल से ही रावण हत्था नाम दे दिया गया, जिसे बजाकर रावण ने शिव को प्रसन्न किया था। समय के साथ यह वाद्य यंत्र कोरकू जनजाति का मुख्य वाद्य यंत्र बन गया। जो दशकों पहले विलुप्त हो गया है।

 
 
जेब में हमेशा रखें इनमें से एक चीज, पैसे की नहीं रहेगी कमी
इस मंदिर में पति-पत्नी नहीं करते एकसाथ दर्शन, हो जाता है अनिष्ट

Check Also

अक्षय तृतीया पर भूलकर भी न खरीदें ये चीजें

अक्षय तृतीया का दिन माता लक्ष्मी और भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा के लिए …