 स्कंद पुराण के अनुसार अनंत आकाश, शिवलिंग ही है। ऋग्वेद में भी शिवलिंग की उपासना का उल्लेख मिलता है। मर्यादा पुरुषोतम श्री राम के अलावा दशानन रावण द्वारा भी शिवलिंग की उपासना करके उनका आशीर्वाद प्राप्त किया गया था। कर्म पुराण में भगवान शिव ने स्वयं को विष्णु और देवी माना है।
स्कंद पुराण के अनुसार अनंत आकाश, शिवलिंग ही है। ऋग्वेद में भी शिवलिंग की उपासना का उल्लेख मिलता है। मर्यादा पुरुषोतम श्री राम के अलावा दशानन रावण द्वारा भी शिवलिंग की उपासना करके उनका आशीर्वाद प्राप्त किया गया था। कर्म पुराण में भगवान शिव ने स्वयं को विष्णु और देवी माना है।
इस कारण शिव को देवाधिदेव महादेव भी कहा जाता है। प्रतिमा, चित्र और शिवलिंग के रूप में पूजनीय भगवान शिव सभी का कल्याण करने वाले देव हैं। देश के अलग-अलग भागों में भगवान शिव बारह ज्योतिर्लिंगों के रूप में न सिर्फ विराजमान हैं बल्कि उनके दर्शन के लिए देश विदेशों से भक्तजन आते हैं।
हमारे पुरातन धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भगवान शिव ने संसार को न्याय, प्रेम और शांति का संदेश दिया था। उन्होंने अत्याचार का अंत करके अपने भक्तों को अभय दान दिया। पवनपुत्र हनुमान और भैरव के रूप में भगवान शिव ने जगत का कल्याण ही किया। देवताओं में श्रेष्ठ, भक्तों का कल्याण करने वाले शिव की उपासना और आराधना करना, समस्त कष्टों और ग्रह, नक्षत्रों के दोष और अशुभ प्रभाव को दूर करने वाला है।
 Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।
				