यह उस समय का प्रसंग है जब केवट भगवान के चरण धो रहा है, बड़ा प्यारा दृश्य है। केवट भगवान राम का एक पैर धोता और उसे निकलकर कठौती से बाहर रख देता। वहीं, जब दूसरा धोने लगता है तो पहला वाला पैर गीला होने के कारण जमीन पर रखने से धूल से फिर गंदा हो जाता। केवट दूसरा पैर बाहर रखता, फिर पहले वाले को धोता है, एक-एक पैर को सात-सात बार धोता है लेकिन बार-बार प्रभु का पैर गंदा हो जाता।
केवट बोला, प्रभु एक पैर कठौती मे रखिये और दूसरा मेरे हाथ पर, ताकि मैला न हो। भगवान अगर ऐसा करते तो सोचिए क्या दशा होती। यदि एक पैर कठौती में और दूसरा केवट के हाथों में तो भगवान खड़े कैसे होते। इसपर भगवान राम मुस्कुराए और केवट से बोले कि केवट अगर मैं इस प्रकार करुंगा तो गिर नहीं जाउंगा?
केवट बोला, चिंता क्यों करते हो भगवान, आप अपने दोनों हाथों से मेरे सिर पर रखकर खड़े हो जाइए तो फिर नहीं गिरेंगे। यह बिल्कुल ऐसा ही था कि जैसे किसी छोटे बच्चे को जब उसकी मां स्नान कराती है तो बच्चा अपने हाथ मां के सिर पर रखकर खड़ा हो जाता है। साथ ही निश्चित रहता है कि उसे कुछ नहीं होगा, वह किसी भी कीमत पर नहीं गिरेगा।
भगवान राम भी आज उसी छोटे बच्चे की भांति केवट का सिर पकड़े खड़े हैं। भगवान राम भावविभोर होकर केवट से बोले, भइया केवट आज मेरे अंदर का अभिमान टूट गया। केवट बोला, प्रभु! क्या कह रहे हैं? भगवान बोले, सच कह रहा हूँ केवट। अभी तक मेरे अंदर अभिमान था कि मैं ही भक्तों को गिरने से बचाता हूं लेकिन आज पता चला कि भक्त भी भगवान को गिरने से बचाता है।
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।