कजरी तीज पर श्रीकृष्ण व देवी श्यामला का पूजन सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। कजरी तीज पर सुहागने व कंवारी कन्याएं पार्वती के श्यामला स्वरूप का पूजन करती हैं। कजरी तीज पर तीन बातें त्याज्य मानी जाती हैं पहला पति से छल, दूसरा दुर्व्यावहार व तीसरा परनिंदा। सुहागने कजरी तीज को अपने पीहर अथवा अपने मामा के घर मनाती हैं। इस दिन विभिन्न प्रकार के पकवान बनाकर सुहागने अपनी सास के पांव छूकर उन्हें भेंट करती हैं। कजरी तीज पर पैरों में मेहंदी लगाने का विशेष महत्व है। लोक मान्यता के अनुसार, इसी दिन पार्वती विरहाग्नि में तपकर काली हो गई थी व इसी दिन उन्होंने काला रंग त्यागकर पुनः शिव से मिलन किया था। इस दिन पीपल, कदंब व बरगद के पत्ते देवी पर चढ़ाएं जाते हैं।
क्या करें इस दिन: शिव-पार्वती और श्रीकृष्ण का विधिवत षोडशोपचार पूजन करें, विशिष्ट हविद्रव्य जैसे की पीपल, कदंब व बरगद से हवन करें। इस दिन हर घर में झूला डाला जाता है। सुहागने पति हेतु व कुंवारी कन्याएं अच्छे पति हेतु व्रत रखती हैं। इस दिन गेहूं, जौ, चना व चावल के सत्तू में घी मिलाकर पकवान बनाते हैं। व्रत शाम को चंद्रोदय के बाद खोलते हैं और ये पकवान खाकर ही व्रत खोला जाता है। इस दिन काली गाय की पूजा करके उन्हें आटे की 7 रोटियां बनाकर उस पर गुड़ चना रखकर खिलाई जाती है। कजरी तीज के विशेष पूजा से मानव के चार पुरुषार्थ धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष की सहज प्राप्ति होती है। शिव-पार्वती व श्रीकृष्ण की कृपा से आर्थिक साधन सुलभ होते है। सुख-संपत्ति व सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।