आप सभी जानते ही हैं कि इस साल दिवाली का त्यौहार 27 अक्टूबर को है. ऐसे में दिवाली पर साफ-सफाई और सजावट का काम बहुत दिन पहले से ही शुरू हो जाता है और दिवाली पर स्वादिष्ट पकवानों के साथ जायकेदार मिठाईयां सबको अपनी ओर मोहित कर लेती हैं। इस दौरान दिवाली को बच्चे,बूढ़े और जवान सब खुशी के साथ मनाते हैं। वहीं दिवाली की रात लक्ष्मी पूजन के बाद घर की औरतें मुख्य दीपक की ज्योत के कालेपन से काजल बनाने का काम करती है और घर के सभी सदस्यों के लगाती हैं।
आइए जानते है कि काजल बनाने और लगाने के पीछे की क्या है कहानी. कहा जाता है दिवाली की रात काजल का चलन धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बुरी नजर से बचने के लिए काले टीके और काजल का इस्तेमाल किया जाता है. इसी कारण से ऐसी मान्यता है कि दिवाली की रात भी दीपक से बनाया हुआ काजल लगाने से घर वालों और आपको नजर नहीं लगती और घर में सुख-शांति बनी रहती है.
कहते हैं दिवाली के दिन धन की तिजोरी, घर की गैस और घर के दरवाजों इत्यादि पर भी काला टीका या काजल लगाया जाता है और इसके पीछे एक वैज्ञानिक कारण यह भी है चूकिं दिवाली के दौरान पटाखों से निकलने वाला धुंआ आंखों के लिए हानिकारक होता है तो ऐसे में कई बार पटाखों के धुएं की वजह से लोगों की आंखें लाल होने लगती हैं तो दिवाली के दिन धुंए के बुरे असर को खत्म करने के लिए काजल बहुत उपयोगी माना जाता है. कहा जाता है इन्ही कारणों से दिवाली की रात को घर में दीपक से निर्मित काजल लगाना शुभ होता है.
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।
