हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रंभा तृतीया व्रत या कहें रंभा तीज व्रत किया जाता है। इस वर्ष यह व्रत 21 मई यानी गुरुवार के दिन है। इस दिन विवाहित महिलाएं इसलिए व्रत रखती हैं ताकि उन्हें गणेश जी जैसी बुद्धिमान संतान(पुत्री/पुत्र) मिले। और उन पर गौरी यानी माता पार्वती और शिवजी की कृपा बनी रहे।
इस दिन प्रात: दैनिक नित्य कर्मों से निवृत्त होकर पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें और भगवान सूर्य को लिए दीपक प्रज्वलित करें। पूजन में ऊं महाकाल्यै नम:, महालक्ष्म्यै नम:, महासरस्वत्यै नम:, आदि मंत्रों का जाप करते हुए पूजा करें।
इस दिन मंदिर और घर पर ही शिव, पार्वती और गणेश जी की आराधना करके सास-ससुर से आशीर्वाद लिया जाता हैं। सास को पकवान व्यंजन और वस्त्र भेंट किए जाते हैं।