बाबा के अद्भुत चमत्कार, श्रद्धालुओं पर बरसाई कृपा अपार

शिरडी के श्री सांईबाबा बेहद अद्भुत थे। वर्ष 1910 में प्रातःकाल श्री सांईबाबा के दर्शनों के लिए श्रद्धालु और अनुयायी द्वारकामाई पहुंचे। वहां बाबा अपने हाथ – मुंह धोने के बाद चक्की पीसने की तैयारी कर रहे थे। उन्हें देखकर श्रद्धालु कहने लगे बाबा हम आटा पीस देते हैं, मगर बाबा ने खुद ही चक्की में आटा पीसने की बात कही और फर्श पर एक टाट बिछाकर अपने हाथ से उसमें गेहूं डाला और उसे पीसना प्रारंभ कर दिया। मिली जानकारी के अनुसार उन्होंने अपने भक्तों से चर्चा की। इसी दौरान कुछ स्त्रियों भीड़ को हटाते हुए बाबा को हटाने लगी और उन्होंने अपने हाथ में चक्की का खूंटा थाम लिया।

उन्होंने सभी की लीलाओं का गायन करते हुए गेहूं पीसना प्रारंभ कर दिया। बाबा पहले तो उन लड़कियों पर नाराज़ हुए मगर फिर उन्होंने स्त्रियों पर अपनी कृपा बनाई। उन स्त्रियों ने बाबा की लीलाओं का गायन कर आटा पीसा। बाबा उनका भक्तिभाव देखकर बेहद प्रसन्न हो गए। जब वे स्त्रियां आटा पीसकर जाने लगीं तो बाबा क्रेधित हुए और उन्होंने कहा कि किसके बाप का माल हड़पकर ले जा रही हो, बाबा ने कहा कि इस आटे को ले जाकर गांव की मेड़ पर बिखेर दो। उल्लेखनीय है कि उस समय शिरडी के आसपास हैजे का भयंकर प्रकोप था।

जब स्त्रियोें ने शिरडी की सीमा में उस आटे को बिखेर दिया तो शिरडीवासियों को हैजे की मुश्किल नहीं हुई। तब बाबा ने कहा कि आटे के रूप में विषूचिका पीस दी गई साथ ही श्रद्धालुओं के पाप, दुख रोग भी इसमें पीसकर नष्ट हो गए। शिरडी के श्री सांईबाबा की ऐसी ही कृपा अपने श्रद्धालुओं पर होती थी बाबा पहले ही अपने भक्तों, श्रद्धालुओं पर आने वाले विपत्तियों को जान लेते थे और उन्हें भक्त पर आने के पहले ही उन्हें जड़ से समाप्त कर देते थे। यही नहीं बाबा का ध्यान योग इतना प्रबल था कि वे धौती क्रिया करने के दौरान अपनी आंतों को शरीर के बाहर भी सूखा लिया करते थे।

उल्लेखनीय है कि धौती क्रिया में सन्यासीजन नित्यकर्म से निवृत्त होने के बाद एक समान लंबा सूत का कपड़ा लेकर उसे मुंह के द्वारा पेट में डालकर बाहर निकाल लिया जाता है, इससे आंतें पूरी साफ हो जाया करती हैं, बाबा के एक भक्त जो उनके दर्शनों के लिए पहुंचे थे, इसी दौरान उन्होंने देखा कि बाबा के अंग अलग – अलग कटे हुए पड़े हैं मगर, जब वे बाबा के सेवकों को लेने दौड़े और वापस सेवकों के साथ आए तो उन्होंने देखा कि बाबा तो नित्य की ही तरह वहां बैठे हुए हैं। श्री सांईबाबा की योग क्रियाओं के बारे में यह बेहद अद्भुत बात है।

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