भारत के इन रहस्यमयी मंदिरो में भगवान् को आता है पसीना, जानिये क्या है पूरी बात

भारत में ऐसे कई मंदिर हैं जिनकी विशेषताएं हैरान कर देती हैं। ऐसा ही एक चमत्कारिक मंदिर है तमिलनाडू राज्य में। सिक्कल सिंगारवेलावर मंदिर। यह मंदिर भगवान कार्तिकेय को समर्पित है। लोगों की ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में कार्तिकेय भगवान की प्रतिमा को पसीना आता है। भगवान की मूर्ति को पसीना तब आता है जब यहां अक्टूबर-नवंबर के महीने में मेले का आयोजन होता है।  इस मंदिर में भगवान सुब्रमण्यम की पत्थर की प्रतिमा से पसीना निकलता है।

धार्मिक मान्यता के अनुसार, अक्टूबर-दिसंबर में यहां होने वाला त्योहार राक्षस सुरापदमन पर भगवान कार्तिकेय की जीत की खुशी में मनाया जाता है। कहते हैं भगवान की मूर्ति से निकलने वाला ये पसीना, राक्षस को मारने की उत्सुकता और क्रोध का प्रतीक है। जैसे-जैसे त्योहार समाप्त होता है। मूर्ति से पसीना कम होने लगता है। मंदिर के पुजारी भगवान के इस पसीने को जल के रूप में भक्तों के ऊपर छिड़कते हैं।
हिमाचल में भलेई माता मंदिर में भी आता है देवी को पसीना इसके अलावा हिमाचल प्रदेश में स्थित भलेई माता मंदिर की भी कुछ इसी तरह की दास्तां है। नवरात्र के समय इस मंदिर में भक्तों का तांता लगता है। इस दौरान माता की मूर्ति से पसीना भी बहता है।

मंदिर के पुजारियों का मानना है कि माता भलेई यहीं प्रकट हुई थीं। इसलिए यहां पर उनका मंदिर हैं, जो भक्त यहां दर्शन करने आता है और उसी समय माता को पसीना आ जाए तो उस भक्त की मुरादें पूरी हो जाती हैं। इसलिए यहां भक्तों को माता के पसीने का निकलने का इंतजार रहता है। जबलपुर में मां काली के इस मंदिर में माता को लगती है गर्मी इसके अलावा मध्य प्रदेश के जबलपुर में भी एक ऐसा ही मंदिर है। यहां मां काली का मंदिर है। धार्मिक मान्यता के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि यहां माता को गर्मी बर्दाश्त नहीं होती है। इसलिए उनकी मूर्ति से पसीना निकलता है। यहां माता का भव्य मंदिर करीब 600 साल से अधिक पुराना है। इस मंदिर को गोंडवाना साम्राज्य में बनवाया गया था।

प्रेम विवाह करना है तो शुक्र को मनाऐं
साल के आखिरी शनिवार पर करें यह काम बरसेगी कृपा, शनि देव के साथ हनुमान जी देंगे आशीर्वाद

Check Also

आषाढ़ अमावस्या पर करें ये एक काम, पितृ बरसाएंगे अपनी कृपा

आषाढ़ अमावस्या (Ashadha Amavasya 2025) पितरों को समर्पित है और हिंदू धर्म में इसका विशेष …