अपनी राशि से शनि का प्रकोप कम करने के लिए शनिवार को व्रत कर सकते है। व्रत करने से पहले शनि देव की पूजा होती है। पूजा में काले तिल, काला वस्त्र, लोहा, तेल आदि अवश्य होता है। इस व्रत को करने से तमाम तरह की बाधाएं दूर हो जाती हैं। व्रत की कथा एक राजा था। उसने अपने राज्य में यह घोषणा की दूर-दूर से सौदागर बाजार में माल बेचने आएं जिस सौदागर का माल नहीं बिकेगा उसका सामान मैं खरीद लूंगा।
इस तरह जब किसी सौदागर का माल नहीं बिकता तो राजा के आदमी उस सादागर के पास जाकर माल खरीद लेते। एक दिन की बात है कि लोहार लोहे की शनिदेव की मूर्ति बना कर लाया। शनिदेव की मूर्ति का कोई खरीददार नहीं मिला। शाम के समय राजकर्मचारी आए और मूर्ति खरीदकर राजा के पास ले गए। राजा ने उस मूर्ति को अपने पास आदर पूर्वक रख लिया। इस तरह शनिदेव के आ जाने से घर में रहने वाले अनेकानेक देवी-देवता राजा से नाराज हो गए। रात के समय एक स्त्री के राजा ने घर से जाते देखा।