बुधवार बुद्धि के प्रदाता भगवान श्री गणेश का वार। यह वार बेहद पवित्र माना जाता है। इस दिन लोग मोदकप्रिय भगवान श्री गजानन को प्रसन्न करने के लिए उनकी विशेष आराधना करते हैं। मान्यता है कि कलियुग में भगवान श्री गणेश की धूम्रकेतु के तौर पर पूजा की जाती है। भगवान श्री गणेश के एक हाथ में अंकुश, दूसरे में पाश तीसरे में मोदक होता है। अपने चैथे हाथ से भगवान श्री गणेश वरदहस्त अपने श्रद्धालुओं के सामने रखते हैं।
भगवान का यह स्वरूप मानव को संदेश देता है। ज्योतिषीय मापदंड के अनुसार भगवान को समर्पित की जाने वाले दूर्वा छाया गृह केतु को दर्शाती है। धूम्रवर्ण गृह केतु के अभिष्ट देवता हैं और वे केतु गृह से पीडि़त जातकों को गणेशजी के साथ 11 या 21 दूर्वा का मुकुट बनाकर गणेश जी की मूर्ति प्रतिमा को लेकर जातक शाम 4 बजे से 6 बजे तक भगवान श्री गणेश जी को समर्पित करने से भगवान प्रसन्न होते हैं।
भगवान श्री गणेश से यदि ऐसी प्रार्थना की जाए कि भगवान श्री गणेश आप बुद्धि के दाता हैं, देवताओं के भी ईश्वर हैं और आप ही सतय और नित्य के बोधस्वरूप हैं, आपको मैं नमन करता हूं। बुधवार के ही दिन यदि हम भगवान श्री गणेश को घी और गुड़ का भोग समर्पित करते हैं और भगवान को भोग लगाने के बाद यदि वही घी और गुड़ गाय को खिलाते हैं तो धन की कामना पूरी होती है। भगवान को दूर्वा चढ़ाने से गृह क्लेश दूर होता है।
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।