सालासर बालाजी का स्थल – जहां स्मरण मात्र से पूरी होती है मनोकामना

भगवान श्री हनुमान कलियुग में पूज्य माने गए हैं। रामदूत हनुमान जी अष्टचिरंजीवी में से एक हैं। तो दूसरी ओर सालासर बालाजी भगवान के भक्तों के लिए यह बेहद धार्मिक स्थल है। यहां श्रद्धा से हनुमानजी को स्मरण करने वाले की हर मनोकामना पूर्ण होती है। राजस्थान के चूरू जिले में स्थित है सालासर बालाजी का यह धाम। चैत्र पूर्णिमा और अश्विन पूर्णिमा पर यहां मेला लगाया जाता है। इस दौरान यहां करीब 6 से 7 लाख श्रद्धालु पहुंचते हैं। भगवान के दरबार में श्रद्धालु पूजन, दर्शन करते हैं और अपनी मनोकामना मांगते हैं। सालासर बालाजी को लेकर कथा लोकप्रिय है कि यहां नागपुर जिले में असोटा गांव का गिन्थाला जाट किसान खेत जोत रहा था, इस दौरान उसके हल से कोई पथरीली चीज़ टकराई और ध्वनि गूंज उठी।

जब इस स्थान पर खुदाई की गई तो यहां दो मूर्तियां जिसके बाद उसने अपनी पत्नी के साथ बालाजी का पूजन किया। हालांकि बाद में सपने में उसे हनुमान जी ने दर्शन देकर मूर्ति को सालासर भेजने का निर्देश दिया। जिसके बाद भगवान श्री बालाजी की विधिविधान से प्राणप्रतिष्ठित किया गया। इसके बाद यहां आने वाले श्रद्धालुओं की सारी मनोकामनाऐं पूर्ण होती चली गईं।
इस दौरान दूसरी मूर्ति को यहां से करीब 25 किलोमीटर दूर पाबोलाम में स्थापित कर दिया गया। यही नहीं इसके बाद शाम के समय दोनों ही स्थानों पर समारोह का आयोजन किया गया। यहां प्रति मंगलवार और शनिवार को श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है यही नहीं श्री हनुमान अष्टमी और हनुमान जयंती पर श्रद्धालु दर्शनों के लिए पहुंचते हैं। बालाजी श्रद्धालुओं के हर काज संवारते हैं।
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