भगवान श्री गणेश देते हैं सुखद जीवन का संदेश

भगवान श्री गणेश सुखदायक हैं, सुखकारक हैं। भगवान गणेश की प्रथम वंदना की जाती है। मगर भगवान श्री गणेश अपने स्वरूप से श्रद्धालुओं को कई तरह के संदेश देते हैं। आखिर क्या संदेश देते हैं भगवान श्री गणेश जी। दरअसल भगवान श्री गणेश अपनी लंबी सूंड से यह संदेश देते हैं कि जीवन में ग्रहण करने की क्षमता सूंड की तरह अधिक होना चाहिए। जीवन में अच्छाईयों को ग्रहण करें। और अपने विकारों को दूर करें। भगवान की सूंड सभी अच्छी बातों को ग्रहण करने और शक्ति  का प्रतीक होती है।

इससे यह संदेश मिलता है कि अपनी शक्ति को व्यर्थ प्रदर्शित नहीं करना चाहिए। भगवान एक दंत हैं। भगवान ने लोककल्याण के लिए और वेद की रचना के लिए अपना एक दांत सहर्ष दे दिया। जो दंत भगवान को प्रिय था वह उन्होंने त्याग दिया। ऐसे में हमें त्याग करने का संदेश मिलता है।

जीवन में त्याग को कहीं – कहीं महत्व देने से हम दुखों से दूर हो जाते हैं तो कई बार त्याग लोगों के लिए अच्छा होता है और हमें आत्मिक सुख प्रदान करता है। भगवान अपने चतुर्भुज स्वरूप में एक में पाश – अंकुश, एक में फरसा, एक में मोदक,और एक हाथ से आशीर्वाद प्रदान करते हैं। ऐसे में वे यह संदेश देते हैं कि जीवन में अंकुश भी जरूरी है लेकिन यह कम और अधिक नहीं होना चाहिए।

अंकुश के बिना जीवन बेकार हो जाता है और व्यक्ति के अपने पथ से भटकने की संभावना हो जाती है लेकिन आवश्कता से अधिक अंकुश व्यक्ति के विकास को प्रभावित करता है। भगवान का पेट लंबा होता है। अर्थात् बड़ा होता है। भगवान को लंबोदर कहा जाता है। यह इस बात का संदेश है कि भगवान ने जिस तरह से सृष्टि को अपने अंदर समाहित किया हुआ है उसी तरह से जीवन के सभी गुणों को हम आत्मसात करें। हर व्यक्ति में गुण दोष होते हैं लेकिन उसकी अच्छाईयों को महत्व देकर हम उससे अच्छा व्यवहार करें और उससे सीखें तो हमारा जीवन सुखद हो सकता है।

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