भगवान के विभिन्न अवतारों को समर्पित प्राचीन मंदिर देश-दुनिया के अनेक स्थानों पर स्थित हैं, परंतु जयपुर में भगवान के उस अवतार का भी एक मंदिर है जिनका अभी जन्म नहीं हुआ है।
यह भगवान कल्कि का मंदिर है। पौराणिक मान्यता के अनुसार जब कलियुग अपनी चरम सीमा पर होगा तब भगवान का कल्कि अवतार होगा। वे घोड़े पर सवार होंगे और अपनी तलवार से पापियों का नाश करेंगे।
राजा जय सिंह के सभारत्न श्रीकृष्ण भट्ट ने अपने महाकाव्य ईश्वर विलास में भी भगवान कल्कि की वंदना की है। ऐसी मान्यता है कि भगवान कल्कि के घोड़े के एक पैर में घाव है। जब ये घाव भर जाएगा तो कलियुग समाप्त हो जाएगा।
मंदिर का इतिहास
कलियुग के अवतार कल्कि भगवान का विश्व में यह पहला मंदिर माना जाता है। इसे शास्त्रों की कल्पनाओं के आधार पर जयपुर के संस्थापक महाराजा सवाई जयसिंह ने सिरहड्योढ़ी दरवाजे के सामने वर्ष 1739 में बनावाया था।
इसका निर्माण बुर्जनुमा दक्षिणायन शैली के आधार पर करवाया गया था। यह मंदिर विशेष तरह की कलाकृति व पत्थरों से बना है, जिसमें चूने का इस्तेमाल नाम मात्र का है।
इनकी उदासीनता से खो रहा वैभव
मंदिर की देखरेख का जिम्मा संभालने वाला देवस्थान विभाग इस मंदिर के वैभव को लेकर उदासीन बना हुआ है। करीब पौने तीन सौ साल पुराने इस मंदिर को पुरातत्व विभाग ने संरक्षित स्मारक घोषित कर रखा है।
इसके बावजूद कल्कि भगवान के मंदिर का सौंदर्य देखरेख के अभाव में नष्ट हो रहा है। यहां एक प्राचीन दीवार से छेड़छाड़ कर इसे ईंटों से बना दिया गया है। इसके अलावा मंदिर की खूबसूरती वाले विशेष पत्थर भी लापरवाही के कारण टूटने लगे हैं। इसके बाद भी न तो देवस्थान विभाग यहां की सुध ले रहा है और न ही पुरातत्व विभाग।
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।