जाने मुँह दिखाई में श्री राम ने माता सीता को दिया था तोहफा

रामायण के बारे में कौन नहीं जनता है. हम सभी में से ऐसे कई लोग हैं जिन्होंने रामायण पढ़ी है. ऐसे में रामायण के बारे में सभी लोग जानते हैं. वहीं राम और रावण इन दोनों के बीच शत्रुता की वजह माता सीता बनी थी. आपको बता दें कि त्रेता युग में दशरथ पुत्र भगवान राम और राजा जनक की पुत्री सीता का जब विवाह हुआ था तब सीता की मुँह दिखाई पर भगवान राम ने एक अनमोल उपहार दिया था. जी हाँ, वहीं उस उपहार को पानें के बाद माता सीता बहुत प्रसन्न हुई थी और हमे पता है कि अब आप सोच रहे होंगे कि भगवान राम ने मुँह दिखाई में आखिर ऐसा कौन सा तोहफा दिया था कि माता सीता बहुत प्रसन्न हुई थी. आज हम आपको बताने जा रहे हैं उसके बारे में.

जी दरअसल मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है और इस बात को सभी जानते हैं. ऐसे में रामायण में भगवान श्रीराम और माता सीता के विवाह के बारे में एक बहुत ही रोचक प्रसंग मिलता है. कहा जाता है रामायण के अनुसार भगवान श्रीराम और माता सीता की पहली मुलाकात एक वाटिका में हुई थी और माता सीता गौरी माता की पूजा के लिए फूल चुननें गयी थी, वहीं भगवान श्रीराम अपने गुरु विश्वामित्र के लिए फूल लेने गए हुए थे. कहते हैं वाटिका में दोनों ने पहली बार एक दुसरे को देखा और एक दुसरे को देखते ही दोनों मोहित हो जाते हैं. वहीं माता सीता श्रीराम को देखकर मन ही मन उन्हें पसंद करनें लगती हैं और वह उन्हें अपने पति के रूप में पानें के लिए माता गौरी से आराधना भी करनें लगती हैं. उसके बाद माता सीता की प्रार्थना माता गौरी द्वारा स्वीकार हो जाती है और माता सीता को श्रीराम पति के रूप में मिल जाते हैं.

वहीं श्रीराम की कुंडली में मौजूद मांगलिक योग की वजह से स्वयंबर और विवाह में काफी परेशानी आती है लेकिन फिर भी दोनों का विवाह हो जाता है. मिलने वाली एक कथा के अनुसार इस विवाह में शामिल होनें के लिए सभी देवी-देवता अपना रूप बदलकर वहाँ आते हैं और विवाह के साक्षी बनते हैं. विवाह के बाद पहली बार रात में श्रीराम और माता सीता की मुलाकात होती है और मुलाकात के साथ ही मुँह दिखाई की रस्म शुरू हो जाती है. इस दौरान उपहार देने की प्रथा आती है तो श्रीराम कोई भौतिक उपहार देने की बजाय माता सीता को एक वचन देते हैं और उस वचन को सुनकर माता सीता प्रसन्न हो जाती है. जी दरअसल श्रीराम ने अपनी पत्नी माता सीता को यह वचन दिया कि जब तक वह जीवित रहेंगे उनके जीवन में कोई अन्य स्त्री नहीं आयेगी. वहीं श्रीराम ने माता सीता से किये गए इस वचन का जीवन भर पालन किया और इस वजह से भी वह मर्यादा पुरुषोत्तम कहे गए.

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