प्रतिदिन करें ‘निर्वाण षटकं’ का पाठ से शिव होते हैं प्रसन्न

भगवान शिव आदि देव माने जाते हैं, साथ ही ये भी माना जाता है कि सोमवार का दिन देवों के देव महादेव की पूजा-अर्चना के लिए सबसे उपयुक्त है। इस दिन उनकी पूजा करने से सभी दुःख दूर हो जाते हैं। इसके साथ ही एक विशेष निर्वाण षटकं भी है, जिसके पाठ मात्र से शिव प्रसन्न होते हैं और मनचाहा वरदान देते हैं।

आज सोमवार के दिन हम आपको वहीं निर्वाण षटकं  देने जा रहे हैं :-

मनोबुद्ध्यहंकार
चित्तानि नाहं
न च श्रोत्रजिह्वे
न च घ्राणनेत्रे।
न च व्योमभूमि-
र्न तेजो न वायुः
चिदानंदरूपः
शिवोऽहं शिवोऽहम्॥१॥

न च प्राणसंज्ञो
न वै पञ्चवायुः
न वा सप्तधातु-
र्न वा पञ्चकोशाः।
न वाक्पाणिपादं
न चोपस्थपायू
चिदानंदरूपः
शिवोऽहं शिवोऽहम् ॥२॥

न मे द्वेषरागौ
न मे लोभ मोहौ
मदो नैव मे
नैव मात्सर्यभावः।
न धर्मो न चार्थो
न कामो न मोक्षः
चिदानंदरूपः
शिवोऽहं शिवोऽहम्॥३॥

न पुण्यं न पापं
न सौख्यं न दुःखम्
न मंत्रो न तीर्थ
न वेदा न यज्ञाः।
अहं भोजनं नैव
भोज्यं न भोक्ता
चिदानंदरूपः
शिवोऽहं शिवोऽहम्॥४॥

न मे मृत्युशंका
न मे जातिभेदः
पिता नैव मे
नैव माता न जन्म।
न बन्धुर्न मित्रं
गुरुर्नैव शिष्यः
चिदानंदरूपः
शिवोऽहं शिवोऽहम् ॥५॥

अहं निर्विकल्पो
निराकाररूपः
विभुर्व्याप्य सर्वत्र
सर्वेन्द्रियाणाम्।
सदा मे समत्वं
न मुक्तिर्न बन्धः
चिदानंदरूपः
शिवोऽहं शिवोऽहम्॥६॥

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