हिंदी पंचांग के अनुसार, जब सूर्य एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में प्रवेश करता है। उस दिन संक्रांति मनाई जाती है। एक साल में 12 संक्रांति मनाई जाती है। इस साल मिथुन संक्रांति 14 जून यानी आज है। धार्मिक ग्रंथों में लिखा है कि जो व्यक्ति संक्रांति के दिन पूजा, जप-तप और दान करता है। उसे मरणोपरांत मोक्ष की प्राप्ति होती है। देशभर में संक्रांति का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। देश के विभिन्न हिस्सों में इसे अलग-अलग नाम से जानते हैं। साथ ही इसे अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। आइए, संक्रांति के महत्व, पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि जानते हैं-
मिथुन संक्रांति के नाम
उत्तर भारत में इसे मिथुन संक्रांति कहते हैं
दक्षिण में संक्रमानम कहा जाता है
ओडिशा में इसे रज पर्व कहते हैं
जबकि केरल में इसे मिथुनम ओंठ कहा जाता है
मिथुन संक्रांति पूजा शुभ मुहूर्त
इस दिन शुभ मुहूर्त दिनभर है। व्यक्ति किसी समय पूजा और दान कर सकते हैं। खासकर दिन में 12 बजकर 22 मिनट से लेकर शाम के 7 बजकर 20 मिनट तक शुभ मुहूर्त है। जबकि संध्याकाल में 5 बजे से 7 बजकर 20 मिनट तक विशेष शुभ मुहूर्त है। इस दौरान दान करना पुण्यकारी होगा।
मिथुन संक्रांति पूजा विधि
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर घर की साफ़-सफाई करें। कोरोना वायरस महामारी के चलते प्रवाहित जलधारा में स्नान करना संभव नहीं है। ऐसे में घर पर ही गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। तत्पश्चात, सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें। साथ ही तिलांजलि दें। संक्रांति के दिन तिलांजलि का विशेष महत्व है। संक्रांति के दिन तिलांजलि देने से पितरों को यथाशीघ्र मोक्ष की प्राप्ति होती है। तत्पश्चात, भगवान भास्कर, धरती मां और भगवान नारायण हरि विष्णु की पूजा श्रद्धपूर्वक कर उनसे सुख, वैभव, यश और कीर्ति की कामना करें। अंत में ब्राह्मणों एवं गरीबों को दान दें।
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।